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पर्यावरण बचाने की अलख जगा रही हैं हरियाणा की मोनिका भारद्वाज, राष्ट्रपति से मिल चुका है सम्मान

हरियाणा की रहने वाली डॉक्टर मोनिका भारद्वाज पर्यावरण बचाने की अलख पूरे देश में जगा रही हैं. इस काम में उनकी पांच साल की बेटी और हजारों लोग जुड़े हैं. पेड़ ही नहीं बल्कि जल संरक्षण का काम भी वो कर रही हैं. महिलाओं और बच्चों के उत्थान और जागरुकता के लिए वो राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित भी हो चुकी हैं.

kurukshetra environment lover monika bharadwaj
kurukshetra environment lover monika bharadwaj

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Published : Apr 30, 2022, 8:57 PM IST

कुरुक्षेत्र: साफ सुधरा पर्यावरण हम सभी के लिए बेहद जरूरी है. अगर पर्यावरण ही नहीं रहेगा तो इंसान का पृथ्वी पर रहना असंभव है. मानव विकास जिस रफ्तार से बढ़ रहा है. उसी रफ्तार से पृथ्वी और पर्यावरण की चुनौतियां भी बढ़ रही है. आज के दौर में पर्यावरण को बचाना बेहद जरुरी है. इसमें सरकार ही नहीं बल्कि हर किसी की सहभागिता जरूरी है. हरियाणा की रहने वाली मोनिका भारद्वाज भी ऐसी ही शख्स हैं जो कई सालों से पर्यावरण बचाने की मुहिम चला रही हैं. मोनिका ना केवल पर्यावरण बचाने के लिए काम कर रही हैं बल्कि दूसरों को भी प्रेरित कर रही हैं.

कुरुक्षेत्र की रहने वाली डॉक्टर मोनिका भारद्वाज एक सरकारी अध्यापक होने के साथ-साथ अपनी ग्रीन अर्थ एनजीओ चला रही हैं. मोनिका पर्यावरण के साथ-साथ लोगों को पानी बचाने के लिए भी प्रेरित कर रही हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए मोनिका भारद्वाज कहती हैं कि वो अपने पति और अपने बच्चों के सहयोग से इस मुहिम को चला रही हैं. जिसमें उनके साथ 2 हजार जुड़े हुए हैं. वो सैकड़ों सेमिनार पर्यावरण और जल बचाने के ऊपर पूरे देश भर में कर चुकी हैं. पर्यावरण के प्रति लगाव ही उनको इसके प्रति प्रेरित करता है. मोनिका भारद्वाज के साथ उनकी बेटी भी उनका सहयोग करती है. जब वह 5 वर्ष की थी तब से वह लोगों को पर्यावरण बचाने के जागरूक अभियान से जुड़ी हैं.

पर्यावरण बचाने की अलख जगा रही हैं हरियाणा की मोनिका भारद्वाज, राष्ट्रपति से मिल चुका है सम्मान

मोनिका ने कहा कि अभी तक उनकी सबसे बड़ी भूमिका यह रही कि उन्होंने 2015 में महाभारत स्थली में बने गीता साक्षी वटवृक्ष को बचाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. क्योंकि उन वृक्ष को कीलों से जड़ा हुआ था. ना ही उसके फूलने के लिए कोई जगह बची थी और ना ही उसकी देखभाल हो रही थी. इसको लेकर उन्होंने अनशन शुरू किया. उसका यह असर पड़ा कि केंद्रीय मंत्री को उनके अनशन पर आना पड़ा और उनकी बात माननी पड़ी. धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का सबसे पुराने वटवृक्ष को उन्होंने जड़ से कच्चा करवा दिया जिससे वो फलने-फूलने लगा और दोबारा हरा भरा हो गया.

मोनिका ने अपने स्तर पर 300 से ज्यादा वृक्ष ऐसे वृक्षों को मुक्त कराया है जो नीचे से पक्के कर दिए गए थे और जिनको लोहे की तारों से बने जाले के अंदर जकड़ा हुआ था. उन्होंने प्रदेश के एक ऐसे गांव को जहां पीने के पानी की समस्या थी उसके लिए भी लड़ाई लड़ी और उसका परिणाम यह रहा कि उस गांव तक अब पीने योग्य पानी पहुंच रहा है. हजारों की आबादी वाला वह गांव अब इतना खुशहाल है कि उनको पानी के लिए दूर-दूर तक नहीं भटकना पड़ता. प्लास्टिक यूज करने पर उन्होंने पिछले 10 साल से कुरुक्षेत्र में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में 30 लाख से ज्यादा लोगों को जागरूक किया है. जिसका परिणाम यह रहा कि 2018 में उनको सबसे ज्यादा लंबे समय तक चलने वाले बिना प्लास्टिक के कार्यक्रम में जगह मिली थी.

अपनी बेटी के साथ डॉक्टर मोनिका भारद्वाज

मोनिका भारद्वाज ने महिला व बच्चों के उत्थान के लिए काम किया है. जिसके लिए उनको 2016 में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया गया था. उनका कहना है कि हमें सिर्फ अपने पर्यावरण को नहीं अपने देश को भी स्वच्छ रखना है. ऐसे में महिलाओं और बच्चों का काफी अहम योगदान रहता है. उसके लिए उनको पूरे देश भर से भागीदारी करने वाली 250 महिलाओं में से चुना गया था.

पर्यावरण के साथ-साथ वो जल संरक्षण पर भी अभियान चला रही हैं. कुछ समय पहले ही उन्होंने हरियाणा के कैथल जिले में आयोजित होने वाले जल सरक्षण कार्यक्रम में मुख्य भूमिका निभाई और हजारों लोगों को उस कार्यक्रम के तहत जागरूक किया. जिसका परिणाम ये रहा कि अंबाला और कैथल के 30 गांव इस पर अमल करते हुए जल बचाने की मुहिम से जुड़े हैं. मोनिका कहती हैं कि पौधे लगाने से ज्यादा जरूरी है जो पौधे हैं उन्हें बचाया जाय.

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