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अर्जुन अवार्डी बॉक्सर मनोज कुमार के कोच राजेश द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामित

कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के बॉक्सिंग कोच राजेश कुमार का नाम द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए भेजा गया है. राजेश कुमार ओलंपियन मुक्केबाज मनोज कुमार के भाई और कोच हैं.

boxing coach rajesh kumar kurukshetra
boxing coach rajesh kumar kurukshetra

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Published : Jun 14, 2020, 10:14 AM IST

कुरुक्षेत्र: द्रोणाचार्य अवार्डी बॉक्सिंग कोच गुरबख्श सिंह संधू ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के मुक्केबाजी कोच राजेश कुमार के नाम की देश के सबसे बड़े कोचिंग सम्मान द्रोणाचार्य पुरस्कार 2019-20 के लिए सिफारिश की है.

द्रोणाचार्य अवार्डी होने के नाते संधू कोचिंग सम्मान के लिए एक कोच के नाम की सिफारिश कर सकते हैं. खेल मंत्रालय के लिए अपनी सिफारिश में गुरबख्श सिंह संधू ने केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू को पत्र लिखकर कोच राजेश कुमार के नाम की मुक्केबाजी कोच की श्रेणी में प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए सिफारिश की है.

ओलंपियन बॉक्सर मनोज कुमार के कोच हैं राजेश

बता दें कि, कोच राजेश कुमार ओलंपियन और अर्जुन पुरस्कार विजेता मनोज कुमार के भाई और कोच हैं. राजेश कुमार 20 साल से कोचिंग के क्षेत्र में है और अपने छोटे भाई मनोज को ओलंपिक तक पहुंचाने में उनकी कोचिंग का महत्वपूर्ण योगदान है.

अर्जुन अवार्डी बॉक्सर मनोज कुमार के कोच राजेश कुमार द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामित.

कोच राजेश कुमार की देखरेख में ओलंपियन मुक्केबाज मनोज कुमार ने कई उपलब्धियां हासिल की है. मनोज कुमार ने 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक और 2018 में कांस्य पदक जीता था. वहीं 2012 और 2016 के ओलंपिक के लिए क्वालीफाई भी किया था. मनोज के अलावा कोच राजेश कुमार ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पदक विजेता मुक्केबाजों की संख्या को लगातार बढ़ाने का काम किया है.

मनोज कुमार ने खेल मंत्री से की अपील

राजेश कुमार के भाई बॉक्सर मनोज कुमार ने कहा कि मेरे कोच जो कि मेरे भाई भी हैं उनके नाम की सिफारिश द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए की जाना गर्व की बात है. हम लोगों ने बड़ी मेहनत के बाद ये मुकाम हासिल किया है. मैं केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू से अपील करूंगा की हमारे कोच को इस पुरस्कार से नवाजा जाए.

वहीं कोच राजेश कुमार ने इस मौके पर कहा कि द्रोणाचार्य अवार्डी बॉक्सिंग कोच गुरबख्श सिंह संधू ने द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए मेरे नाम की सिफारिश की है जो कि गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि एक कोच किसी प्लेयर की परछाई के रुप में काम करता है. जब कोई प्लेयर मेडल जीतता है तभी कोच का भी नाम होता है और फिर कोच को द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजा जाता है. ये एक ऐसा पल होता है जो बार-बार देखने को नहीं मिलता है.

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