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किसान महापंचायत: करनाल पहुंचे राकेश टिकैत और योगेन्द्र यादव - करनाल किसान लघु सचिवालय घेराव

हरियाणा में किसान और सरकार में एक बार फिर टकराव के हालात बन रहे हैं. लाठीचार्ज के बाद किसान अपनी मांग पर अड़ गए हैं तो सरकार भी सख्त है. इसी सिलसिले में करनाल में महापंचायत (Karnal Kisan Mahapanchayat) हो रही है. इस महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव भी पहुंचे हैं.

Karnal Kisan Mahapanchayat
Karnal Kisan Mahapanchayat

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Published : Sep 7, 2021, 1:50 PM IST

करनाल: हरियाणा में एक बार फिर किसान और सरकार आमने-सामने हैं. लाठीचार्ज के विरोध में किसानों की मांगें नहीं माने जाने के बाद करनाल में किसान महापंचायत (Karnal Kisan Mahapanchayat) कर रहे हैं. इसके लिए पूरे हरियाणा के अलावा बाहर से भी किसान पहुंच रहे हैं. किसान नेता राकेश टिकैत और योगेन्द्र यादव भी करनाल पहुंचे हैं.

किसान महापंचायत और लघु सचिवालय घेराव को लेकर जिला प्रशासन हाई अलर्ट पर है. करनाल जिले में धारा-144 लागू है. सोमवार रात 12 बजे से करनाल जिले में इंटरनेट सेवाएं (karnal internet suspendedn) भी बंद कर दी गईं है. दिल्ली से चंडीगढ़ और अंबाला जाने वाला हाइवे का ट्रैफिक भी डायवर्ट (Delhi-Chandigarh Route Diversion) कर दिया गया है. पूरे जिले में प्रशासन ने रैपिड एक्शन फोर्स (karnal rapid action force) तैनात कर दी है. करीब 620 जवान एक टुकड़ी में शामिल हैं.

किसान महापंचायत: करनाल पहुंचे राकेश टिकैत और योगेन्द्र यादव

दरअसल 28 अगस्त को करनाल में पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज किया था. किसान मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यक्रम का विरोध कर रहे थे. करनाल के बसताड़ा टोल पर किसानों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को रोकने की कोशिश की. जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. इस लाठीचार्ज में कई किसान घायल हो गए. एक दिन बाद एक किसान की मौत हो गई. किसान नेताओं का आरोप है कि लाठीचार्ज में घायल होने के चलते उसकी मौत हुई है.

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इसी लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने तीन मांगें सरकार के सामने रखी थी. पहली मांग ये है कि एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज किया था उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. दूसरी मांग ये है कि जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को 25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए. तीसरी मांग ये है कि पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसानों ने सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था. लेकिन सरकार ने इन मांगों को मांनने से साफ इनकार कर दिया.

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