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कोरियन कंबल और फाइबर रजाईयों ने खत्म कर दी रुई भरी रजाइयों की बादशाहत - फाइबर रजाई करनाल

कंपकंपाती ठंड में धुनकरों ने अपनी दुकानें सजा ली हैं. सड़कों के किनारे पारंपरिक रूप से रुई की धुनाई करने वाले कारीगरों की आमदनी पर कोरियन कंबल और फाइबर रजाईयों ने असर डाला है.

Korean blankets and Fiber quilts in market karnal
रुई भरी रजाई

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Published : Dec 24, 2019, 11:34 PM IST

करनाल: सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ ही रजाई गद्दा भराई का काम बढ़ जाता है. कुछ लोग नहीं रुई खरीदकर रजाई गद्दा भराते हैं तो कुछ पुरानी रुई की धुनाई कराकर रजाई व गद्दा भरा लेते हैं.

कोरियन कंबल ने कम की आमदनी

हालांकि रजाई भरने वालों का तर्क है कि रुई के दाम बढ़ने और मार्केट में आधुनिक कंबल और फाइबर रजाई आने से रुई भरी रजाइयों की डिमांड पर असर पड़ा है. जहां कुछ साल पहले दुकानदार प्रत्येक सीजन में 60 से 70 हजार रुपये कमा लेते थे. वहीं अब आंकड़ा बमुश्किल 30 से 40 हजार तक पहुंच पाता है.

कोरियन कंबल ने खत्म कर दी रुई भरी रजाइयों की बादशाहत, देखें वीडियो

रुई भराने वालों की संख्या में कमी आई
करनाल जीटी रोड पर रजाई गद्दे भरने का काम करने वाले मोहम्मद शकील और उचानी के मोहम्मद हैदर ने बताया कि पहले जो रुई 100 रुपये प्रति किलो मिलती थी अब 120 रुपये तक पहुंच गई है. वहीं रुई भराई का रेट 15 रुपये प्रति किलो है जबकि भरी भराई रजाई के दाम भी 450 से 600 रुपये तक पहुंच गए हैं.

उन्होंने बताया कि लोगों के पास रुई भरवाने का समय नहीं है, लोग आज कल आधुनिक कंम्बल और फाइबर की रजाइयां लेना पसंद कर रहे हैं. जिस कारण से हम मंदी की मार को झेल रहे हैं. उनका ये भी कहना है कि कंपकंपाती ठंड में जो गर्मी रुई वाली रजाई दे सकती वो दूसरी नहीं.

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