करनाल: कथित धान घोटाले के बाद करनाल में एक बार फिर से राइस मिल मालिकों पर गड़बड़ी का आरोप लगा है. दरसअल सरकार राइस मिल मालिकों को जीरी से चावल निकालने के लिए देती है, जिसे तय समय में राइस मिल मालिकों को सरकार को चावल निकालकर वापस देना होता है, लेकिन कोविड-19 की वजह से इस बार चावल देने में देरी हो गई है.
दो राइस मिल मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
प्रशासन को शिकायत मिली थी कि राइस मिल मालिक चावल की कमी को पूरा करने के लिए दूसरे राज्यों से पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) का चावल मंगवाकर चावल को पूरा कर रहे हैं. जिसके चलते प्रशासन की टीम ने मौके का मुआयना किया, जहां दो ट्रक मिले जो यूपी से आए थे. इसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते दो राइस मिल मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
उपायुक्त के सामने राइस मिल मालिकों ने रोया दुखड़ा
वहीं राइस मिल मालिकों ने इसी सम्बन्ध में करनाल के उपायुक्त से मुलाकात की है और कहा है कि उनकी गड़बड़ी करने की कोई मंशा नहीं है, हमें गेट पास के बारे में जानकारी नहीं थी जिसमें प्रशासन को खामिया लगी और उसकी वजह से प्रशासन के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई कर दी. राइस मिल मालिकों का ये भी कहना है कि बारिश की वजह से कुछ जीरी खराब भी हो गई जिस वजह से सरकार को पूरा चावल देने में देरी भी हो रही है और परेशानी भी आ रही है.
करनाल में चावल खरीद में गड़बड़ी को लेकर दो राइस मिल मालिकों के खिलाफ FIR दर्ज. बता दें कि, सरकार को राइस मिल मालिकों की तरफ से 15 जुलाई तक सारा चावल देना है और अभी तक औसतन 82 प्रतिशत के आस पास चावल दिया गया है. ऐसे में आरोप ये लगा है कि उस चावल को पूरा करने के लिए पीडीएस का चावल दूसरे राज्यों से मंगवाकर सरकार को देने की तैयारी थी, जिससे सरकार को करोड़ों का चूना लगता और राइस मिल मालिक मालामाल हो जाते. ऐसे में गड़बड़ी कहां है, इसको लेकर जांच टीम बनाकर पूरे मामले की जांच की जा रही है.
क्या है सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) ?
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का मतलब है सस्ती कीमतों पर खाद्य और खाद्यान्न वितरण के प्रबंधन की व्यवस्था करना. गेहूं, चावल,चीनी और मिट्टी के तेल जैसे प्रमुख खाद्यान्नों को इस योजना के माध्यम से सार्वजनिक वितरण की दुकानों द्वारा पूरे देश में पहुंचाया जाता है. इस योजना का संचालन उपभोक्ता मामलों,खाद्य और सार्वजनिक वितरण के मंत्रालय द्वारा किया जाता है. इस योजना का मुख्य मकसद सस्ती दरों पर देश के कमजोर वर्ग को खाद्यान्न उपलब्ध कराना है.
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