करनाल: एक तरफ जहां खेती को घाटे का सौदा माना जा रहा है, वहीं हरियाणा के किसान आधुनिक तकनीकों को इस्तेमाल करके इसी खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. हमारे देश में ज्यादातर किसान अपने पूर्वजों के समय से ही परंपरागत खेती (farming haryana) करते आ रहे हैं. हालांकि खेती करने के तरीके में जरूर आधुनिकरण आया है. पहले जो काम हाथ या बैलों से किए जाते थे अब वह मशीनों से किए जाते हैं, लेकिन हमारी फसल उगाने का तरीका वही परंपरागत है. मात्र कुछ प्रतिशत किसान ही आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं.
ऐसे ही एक किसान हैं नरेंद्र सिंह चौहान (farmer narendra singh chauhan karnal) जो करनाल के रहने वाले हैं. नरेंद्र चौहान ने 50 डिग्री सेल्सियस में भी सेब की खेती (apple farming in haryana) की है. और सेब ठंडे क्षेत्र में उगने वाला फल है. लेकिन किसान नरेंद्र ने 50 डिग्री के तापमान में सेब उगाकर दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं. किसान नरेंद्र ने हमें बताया कि वो शुरू से ही बागवानी के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग करते रहते हैं. उन्होंने इसस पहले करनाल की धरती पर बादाम उगाया था जो ठंडे इलाकों में पाया जाता है. अब उन्होंने 50 डिग्री सेल्सियस में सेब को उगाकर एक नई महारत हासिल की है.
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किसान नरेंद्र ने बताया कि उन्होंने कुछ सालों पहले एक अखबार में पढ़ा थी जिसमें उन्हें एक ऐसे किस्म के सेब के बारे में पता चला था ज्यादा तापमान में भी उगाया जा सकता है. एप्पल की इस वैरायटी का नाम था गोल्ड एप्पल (Golden apple farming). इसके बाद उन्होंने उस किसान का पता लगाया जिसने ऐसे सेबों की खेती की थी. वो किसान हिमाचल के पालमपुर का रहने वाला था जिससे मिलने के लिए नरेंद्र सीधा पालमपुर गए. नरेंद्र ने हिमाचल के उस किसान से सेब के कुछ पौधे लिए और करनाल में आकर उनकी खेती करने लगे.
जब किसान नरेंद्र ने उन सेब के पेड़ों को यहां लगाया तो पहले साल ही उनके ऊपर फूल आने शुरू हो गए. लेकिन वो फूल झड़ते रहे और एक भी फल नहीं बना. फिर तीसरे साल बाद उनकी महनत रंग लाई और उसपर फल आना शुरू हो गए. अब नरेंद्र को सेब का बाग बनाए हुए 4 साल हो गए हैं जिसमें आज उन्हें एक पौधे से करीब 25 किलो सेब मिलते हैं. अब उन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ सालों में वो एक पौधे से एक क्विंटल सेब उगा लेंगे.