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टेस्ट सीरीज जीतने पर करनाल में नवदीप सैनी के घर पर जश्न का माहौल

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Published : Jan 20, 2021, 5:35 PM IST

ऑस्ट्रेलिया में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद करनाल में तेज गेंदबाज नवदीप सैनी के घर पर जश्न का माहौल है. उनके पर बधाई देने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है. वहीं इस मौके पर ईटीवी भारत ने नवदीप सैनी के माता-पिता से खास बातचीत की.

navdeep saini family karnal
navdeep saini family karnal

करनाल:भारतीय क्रिकेट टीम ने मंगलवार को ब्रिसबेन के गाबा में चौथा टेस्ट मैच जीतकर इतिहास रच दिया है. वहीं इस जीत में करनाल के तरावड़ी हलके के रहने वाले क्रिकेटर नवदीप सैनी का भी अच्छा योगदान रहा है. सैनी ने इस मैच में चोटिल होने के बावजूद भी 4 विकेट लिए.

32 साल बाद टीम इंडिया ने गाबा में टेस्ट मैच जीतकर इतिहास रचा और साथ ही ऑस्ट्रेलिया में लगातार दूसरी बार बॉर्डर-गावस्कर ट्राफी पर कब्जा किया है. टीम इंडिया के लिए ये जीत इसलिए भी ज्यादा मायने रखती है क्योंकि कई स्टार खिलाड़ी चोट के कारण नहीं खेल रहे थे. बावजूद इसके विदेशी जमीन पर युवा टीम ने अपना डंका बजाया है.

करनाल के तरावड़ी के रहने वाले नवदीप सैनी ने ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज में डेब्यू किया था. नवदीप सैनी ने मैच में चार विकेट हासिल कर शानदार प्रदर्शन किया जिसके बाद उनके परिवार के लोगों में खुशी का माहौल है. नवदीप सैनी मध्यमवर्गी परिवार से संबंध रखते हैं. वहीं नवदीप के शानदार प्रदर्शन के बाद परिवार वालों के साथ-साथ पूरे इलाके में खुशी का माहौल है.

टेस्ट सीरीज जीतने पर करनाल में नवदीप सैनी के घर पर जश्न का माहौल

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नवदीप के परिवार के सभी लोगों ने पूरी टीम इंडिया को जीत की बधाई देते हुए कहा कि सभी खिलाड़ियों की मेहनत रंग लाई है. उम्मीद करते हैं कि आने वाले मैचों में भी नवदीप समेत पूरी टीम इंडिया बेहतर प्रदर्शन करेगी. नवदीप के पिता अमरजीत सैनी ने नवदीप की कामयाबी के पीछे भगवान के बाद, क्रिकेटर सुमित नरवाल व भारतीय टीम के पूर्व कप्तान गौतम गम्भीर व उसकी कड़ी मेहनत को बताया.

बता दें कि, नवदीप के परिवार में उनके माता-पिता, दादा और भाई हैं. नवदीप के पिता सरकारी ड्राइवर थे पर आमदनी इतनी नहीं थी कि परिवार अपने बेटे की इच्छा पूरी कर सके. नवदीप के पिता इस हालत में नहीं थे कि वो क्रिकेट एकेडमी की फीस भर पाते. इसके बाद भी उन्होंने अपनी इच्छा मरने नहीं दी और संघर्ष जारी रखा.

नवदीप टेनिस गेंद से अभ्यास करने लगे. इससे उन्हें ये फायदा मिला कि उनकी गेंदों की गति बढ़ने लगी. नवदीप के पास उन दिनों अच्छे स्पोटर्स शूज भी नहीं थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार वो मुकाम हासिल किया जिसके वो हकदार हैं.

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