जींद:अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव बजरंग दास गर्ग ने राज्यस्तरीय दौरे के दौरान जींद में आढ़तियों की समस्या सुनी. बजरंग दास गर्ग ने कहा कि केंद्र सरकार के तीन नए अध्यादेश के विरोध में हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और चंडीगढ़ की मंडी पूरी तरह से बंद हैं.
बजरंग दास गर्ग ने कहा कि इन अध्यादेश से देश का किसान व आढ़ती बर्बाद हो जाएगा. अगर सरकार ने अध्यादेश वापस नहीं लिया तो अक्टूबर महीने में राष्ट्रीय व्यापक बंद करके आढ़ती व किसान सड़कों पर उतरेगा. गर्ग का कहना है कि सरकार कह रही है कि अध्यादेश किसान और आढ़ती के हित में है जबकि हकीकत ये है कि ये अध्यादेश अंबानी-अडानी जैसे बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिक के हित में है.
सुनिए बजरंग दास गर्ग का बयान. गर्ग का कहना है कि केंद्र सरकार कोरोना महामारी की आड़ में फसल एमएसपी पर खरीद करने के कानून को खत्म करने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में शुक्रवार 21 अगस्त को पूरे हरियाणा प्रदेश में मंडियों में दुकान बंद रही और आढ़ती इन तीन अध्यादेशों के खिलाफ नारेबाजी करते भी नजर आए. व्यापारियों और सरकार के बीच सहमति आने वाले समय में नहीं बनती है तो व्यापार मंडल की ओर से पूरे भारत भर में अक्टूबर में बंद करने का आह्वान भी किया जा सकता है.
क्या है कृषि अध्यादेश 2020?
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन ) अध्यादेश पारित किए हैं. इन अध्यादेशों के विरोध में किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश: इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है. इस अध्यादेश की सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर किसान और व्यापारी में कोई विवाद होगा तो उसका निपटारा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तीस दिनों के भीतर किया जाएगा. इस विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.
मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश: इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है. कॉन्ट्रैक्ट खेती में खेती बड़ी-बड़ी कंपनियां करेंगी. जिससे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश: देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए अध्यादेश में आलू, प्याज और तिलहन जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से लोग इन सामानों की जितनी चाहें स्टॉक जमा कर सकते हैं. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.
इन्हीं मुद्दों को लेकर किसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार किसानों की बात मानती है या फिर किसान इसी तरह सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करते रहेंगे.
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