जींद:लॉकडाउन के दौरान लोगों ने कई नए अनुभव किए. घर रहते हुए बच्चों और बुजुर्गों के साथ खूब मस्ती की और संस्कारों का रोपण किया. लेकिन कुछ लोग घर में रहने को बोझ समझ बैठे और डिप्रेशन का शिकार हो गए. बाद में यही डिप्रेशन उनके लिए घातक और जानलेवा बन गया. यही कारण है कि अब घरेलू हिंसा के ज्यादा मामले सामने आने लगे हैं. वहीं, आत्महत्या के मामले भी बढ़ने लगे हैं.
जींद में आत्महत्या और घरेलू हिंसा के मामलों में आई बढ़ोतरी, देखें वीडियो घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी
वर्तमान समय में पति-पत्नी के बीच ज्यादा झगड़े हो रहे हैं. इस दौरान नौबत तलाक लेने तक की आ रही है. महिला पुलिस थाना और महिला संरक्षण अधिकारी के पास पहुंची शिकायतों में काफी बढ़ोतरी हुई है. 50 प्रतिशत से भी ज्यादा शिकायत पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर होने वाले झगड़ों संबंधी आई हैं. हालांकि इस तरह की 90 प्रतिशत शिकायतों का दोनों पक्षों की काउंसलिंग करने के बाद समाधान हो जाता है.
लॉकडाउन से पहले महीने वार घरेलू हिंसा की शिकायतों की संख्या
- 2019 अक्टूबर -64
- 2019 नवंबर -60
- 2019 दिसंबर -63
- 2020 जनवरी -66
- 2020 फरवरी -59
- 2020 मार्च -39
लॉकडाउन के बाद महीने वार घरेलू हिंसा की शिकायतों की संख्या
- 2020 अप्रैल-10
- 2020 मई-50
- 2020 जून-76
- 2020 जुलाई-80
- 2020 अगस्त (28 तक) 85
जिले में आत्महत्याएं बढ़ी
जींद जिले में आत्महत्या ग्राफ बढ़ गया है. इनमें सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी ने जीवन लीला खत्म की है. आत्महत्या के ज्यादातर मामलों में देखा जा रहा है कि आत्महत्या करने वालों को आर्थिक परेशानियां, पारिवारिक कलह और अकेलापन मौत की वजह रही हैं. नागरिक अस्पताल में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ गई है और ओपीडी भी बढ़ गई है.
डॉक्टर की सलाह
मनोवैज्ञानिक डॉ. संकल्प ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कमजोर जीवनशैली और अकेलापन से डिप्रेशन बढ़ा है. घर परिवार में भी रहकर व्यक्ति का मन उस स्थान पर न रहकर दूसरे स्थान पर रहता है. वो अपने अंदर चल रही बातों को किसी को बता नहीं पता है. ऐसे में उसके मन में हीन भावना अपने प्रति बढ़ती जाती है. जिससे वो आत्महत्या जैसे कदम उठाता है.
डॉक्टर ने बताया कि जब वो अकेलापन महसूस करता है तो उसे ऐसा लगता है कि उसका साथ देने वाला अब कोई नहीं. इसी के चलते वो अपने आपको खत्म कर लेते हैं. ऐसे लोगों को एक अच्छे मित्र और परिवार के सदस्य की जरूरत होती है जिससे वो अपनी बात शेयर कर सकें और उसे अकेलापन महसूस न हो.
'काम ने होने के कारण लोग परेशान'
वहीं, महिलाओं को लेकर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता आशा गोयत का कहना है कि घर पर खाली बैठे होने की वजह से लोग परेशान हैं. काम न होने की वजह से वो लोग फ्रस्ट्रेशन में हैं और उनका सारा गुस्सा अपने परिवार और बीवी-बच्चों पर निकलता है जिस वजह से आपस में लड़ाई होती हैं और घरेलू हिंसा जैसे मामले सामने आते हैं, ऐसे बहुत सारे मामले हर रोज महिला सेल में आ रहे हैं.
डिप्रेशन के लक्षण
- हमेशा मन उदास रहना
- पहले जिन कामों को करने में आनंद आता था, उनमें रुचि कम या खत्म हो जाना
- मौत या आत्महत्या के विचार आना या आत्महत्या का प्रयास
- भूख न लगाना या बहुत ज्यादा भूख लगना
- वजन कम होना या बढ़ना
- बहुत ज्यादा या बहुत कम सोना
- हमेशा बेचैनी रहना
- थकान रहना, एनर्जी की कमी
- अपराध बोध की भावना, खुद को कुछ नहीं समझना
- ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने में मुश्किल
ये भी पढ़ें- स्टेडियम नहीं अब मैदान बनाने पर दिया जाएगा जोर: संदीप सिंह