जींद: सजा के तौर पर बच्चों को कराई जाने वाली उठक-बैठक जींद में जीतगढ़ गांव की राजकीय प्राथमिक पाठशाला में बच्चों को आधा घंटा रोजाना कराई जा रही है, मगर उनका दिमाग बढ़ाने के लिए. योग की भाषा में इसे सुपर ब्रेन योग कहते हैं. इसे करने से बच्चे न सिर्फ फिजिकली बल्कि मेंटली भी फिट रहते हैं और उनकी याददाश्त बढ़ती है.
पांचवी तक के इस स्कूल में करीबन 130 बच्चे पढ़ते हैं. प्रार्थना के समय हर रोज बच्चों से ये सुपर ब्रेन योग करवाया जा रहा है. अध्यापकों का कहना कि ये योग नहीं है बल्कि सुपर ब्रेन योग है ऐसा करने से बच्चों का ब्रेन शांत रहता है और स्मरण शक्ति बढ़ती है.
जींद के सरकारी स्कूल में उठक-बैठक वाली 'योगा' करते हुए बच्चे ऐसे होता है सुपर ब्रेन योग
दाएं हाथ से बाएं कान और बाएं हाथ से दाएं कान का निचला हिस्सा पकड़कर उठक-बैठक की जाती है. चूंकि कान के निचले हिस्से में खास एक्यूप्रेशर पॉइंट होते हैं. जिन्हें दबाने से दिमाग की खास तंत्रिकाओं में सक्रियता बढ़ती है. इस दौरान जीभ को तालू से सटाकर रखना पड़ता है और सांस पर ध्यान देना होता है. इसे लगातार 3 हफ्तों तक करने से फायदा दिखने लगता है.
हरियाणा एजुकेशन बोर्ड ने किया शुरू
बता दें कि हरियाणा एजुकेशन बोर्ड ने बच्चों की मानसिक क्षमता बढ़ाने और दिमाग एकाग्रचित करने के लिए एक नया प्रयोग शुरू किया है. बोर्ड का दावा है कि ये कोई सजा नहीं बल्कि सुपर ब्रेन योग है. जो सालों से चलती आ रही है लेकिन इसकी अहमियत पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. लेकिन उन्होंने इसकी अहमियत समझते हुए हरियाणा के स्कूल में ये प्रयोग शुरू किया है, जहां अगले एक साल तक बच्चों को इसी तरह कान पकड़कर उठक-बैठक कराई जाएगी.
छिड़ेगी नई बहस
स्कूलों में बच्चों को सजा के तौर पर कान पकड़कर उठक-बैठक कराने का सिलसिला लंबे समय से चलते आ रहा है लेकिन स्कूलों में इस तरह के पनिशमेंट का विरोध भी मुखरता से होता रहा है. लेकिन हरियाणा बोर्ड के इस फैसले से अब एक नई बहस छिड़ने वाली है कि क्या वाकई कान पकड़-पकड़ कर उठक-बैठक करने से दिमाग तेज होता है या ये सिर्फ एक अफवाह है.