जींद: हरियाणा सरकार बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए समय-समय पर कई काम करती है. रोजगार विभाग द्वारा प्रदेशभर के युवाओं को रोजगार देने के लिए लगातार ट्रेनिंग दी जाती है और कॉउंसलिंग की जाती है. इसके अलावा विभाग द्वारा रोजगार मेले भी आयोजित किये जाते हैं, लेकिन कोरोना काल में ये पूरा साल बीतने को है और इस साल रोजगार विभाग पर भी खास असर पड़ा है. साथ ही कई आवेदकों ने रोजगार विभाग की प्रक्रिया पर सवाल भी खड़े किए हैं. इस रिपोर्ट में हम आपको बता रहे हैं कि रोजगार विभाग हरियाणा में क्या काम कर रहा है और युवाओं की क्या प्रतिक्रिया है.
रोजगार विभाग पर भी पड़ा कोरोना का असर
कोरोना का रोजगार विभाग के कामकाज पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, एक तो वैकेंसी बहुत कम हो गई है और दूसरा इस साल सिर्फ एक ही रोजगार मेला आयोजित हो पाया है जिसमें करीब 80 बच्चे चुने गए थे. पिछले कुछ सालों में निजी कम्पनियों में सैंकड़ो बच्चों को विभाग की सहायता से नौकरी मिली थी, लेकिन इस साल हालात बदले हुए हैं. हालांकि सरकार अभी भी बेरोजगार को रोजगार दिलवाने के लिए कई काम कर रही है. जैसे रोजगार विभाग की ऑफिशियल साइट पर फ्री कोचिंग और स्टडी मेटेरियल उपलब्ध करवाया जा रहा है.
हरियाणा में बढ़ रही बेरोजगारी, युवाओं को योग्यता के हिसाब से नहीं मिल रहा काम निशुल्क कोचिंग की दी जा रही सुविधा
जिला रोजगार अधिकारी नृपेंद्र सांगवान ने बताया कि ग्रेड अप योजना के तहत रोजगार पोर्टल के जरिए बच्चों को सरकारी नौकरियों की तैयारी के लिए निशुल्क कोचिंग की सुविधा दी जा रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को नौकरियां मिल पाए. बच्चों को रोजगार विभाग की वेबसाइट पर अप्लाई करने के बाद उनकी क्वालिफिकेशन के अनुसार शॉर्टलिस्ट कर नौकरी के लिए इंटरव्यू लिया जाता है.
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इसके अलावा रोजगार विभाग द्वारा बेरोजगार युवाओं को सक्षम योजना के तहत काम व बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है. जिले भर में 42 हजार युवाओं ने रोजगार कार्यालय में नाम दर्ज करवाया हुआ है. उनमें से सक्षम योजना के तहत 12वीं पास बेरोजगारों को 900 रु, ग्रेजुएट बेरोजगारों को 1500 रु, पोस्ट ग्रेजुएट बेरोजगारों को 3000 रु बेरोजगारी भत्ते के तौर पर दिए जाते हैं. साथ ही सक्षम योजना के तहत काम करवाने के बाद उन्हें काम के बदले 6000 रु प्रति माह अतिरिक्त दिए जाते हैं.
रोजगार मेले से युवा हैं नाखुश
ये तो थी सरकार की बात, अब बात करते हैं आवेदकों की और उन बेरोजगार लोगों की जिन्होंने रोजगार विभाग की साइट पर रजिस्ट्रेशन किया हुआ है. आवेदक सुनील का कहना है कि वे बीटेक पास हैं, लेकिन विभाग द्वारा जॉब फेयर में बुलाए जाने के बाद सिक्योरिटी गार्ड, स्टोर कीपर जैसी नौकरियों के लिए इंटरव्यू लिए जाते हैं और तनख्वाह भी नाम मात्र की दी जाती हैं. विभाग को चाहिए कि युवाओं की क्वालिफिकेशन के अनुसार नौकरी उपलब्ध करवाएं.
इसके अलावा कई मामलों में पढ़ा लिखा होने के बावजूद आवेदक को जॉब फेयर में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी दिलवाई जाती है और उसके बाद एक दो महीने में कंपनी नौकरी से निकाल देती है. ऐसे में बेरोजगारी भत्ता भी बंद हो जाता है और नौकरी भी नहीं रहती
साफ जाहिर है कि बेरोजगार आवेदकों को उनकी क्वालिफिकेशन के हिसाब नौकरी नहीं दी जा रही. नौकरी देने के नाम पर योग्य उम्मीदवार को कुछ भी काम दे दिया जाता है. वहीं राज्य सरकार जिस तरह से रोजगार विभाग के जरिए नौकरी मुहैया कराने के दावे करती है और जिस तरह के हालात नजर आए हैं. उससे साफ जाहिर है कि इस प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत है ताकि ज्यादा से ज्यादा बेरोजगारों को ना सिर्फ काम मिल सके बल्कि ये काम उनकी योग्यता के साथ न्याय भी करे.
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