जींद: बर्खास्त 1983 पीटीआई अध्यापकों की बहाली की मांग को लेकर सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा, सीटू, माकपा सहित अन्य कर्मचारी संगठनों ने जेल भरो आंदोलन के तहत गिरफ्तारियां दी. आंदोलन को देखते हुए भारी संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया था. इस दौरान कर्मचारियों ने रोष प्रकट करते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
आंदोलन को लेकर डयूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर तहसीलदार मनोज अहलावत को नियुक्त किया गया. इस दौरान 204 पुरुष और 49 महिलाओं ने गिरफ्तारी दी. उन्हें गिरफ्तार कर हरियाणा रोडवेज की बसों में बैठा कर नया बस अड्डा (अस्थायी जेल) में ले जाया गया. जहां इन सभी के नाम और पते लिखे गए और फिर इन्हें अस्थायी जेल से रिहा किया गया.
नौकरी बहाली को लेकर बर्खास्त पीटीआई टीचर्स ने दी गिरफ्तारी प्रदर्शन को समर्थन देने आए अन्य संगठन प्रमुखों का कहना है कि सरकार ने बर्खास्त पीटीआई टीचरों की सेवा बहाली को लेकर कोई गौर नहीं किया तो 18 अगस्त को सभी गांवों, कस्बों और शहरों में प्रर्दशन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया में कोई भी गड़बड़ी नहीं है और भर्ती पूरी पारदर्शी तरीके के साथ हुई थी. बदले हुए मापदंड की सभी अभ्यार्थियों को सही सूचना दी गई थी. जिस बदले हुए मापदंडों के अनुसार पीटीआई की भर्ती की गई थी.
क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?
दरअसल भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई अध्यापकों की भर्ती की गई थी. जो विद्यार्थी भर्ती परीक्षा में फेल हो गए थे. उन्होंने भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया.
इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ चयनित पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.
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बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.