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अमेरिका से चिकन लेग व्यापार की आहट से पोल्ट्री उद्योग में जबर्दस्त घबराहट

पोल्ट्री फार्मर का कहना है कि भारत ने अमेरिकी दबाव में आकर अगर घरेलू बाजारों के दरवाजे उनके लिए खोल दिए तो ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों लोगों को रोजगार देने वाला ये पोल्ट्री उद्योग बड़े संकट में आ जाएगा.

poultry Farmers protest in jind
प्रदर्शन करते पोल्ट्री फार्मर

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Published : Feb 24, 2020, 11:48 PM IST

जींद:ऐसा अंदेशा है कि अमेरिका से चिकन इंपोर्ट करने पर भी भारत ने इम्पोर्ट ड्यूटी में काफी छूट देने का ऑफर दिया है. इस खबर से भरतीय पोल्ट्री उद्योग में जबर्दस्त घबराहट है. इसे लेकर जींद जिला के पोल्ट्री फार्म मालिकों ने रोष प्रदर्शन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पत्र लिखकर अपनी मुश्किलें गिनाई हैं.

क्या बोले पोल्ट्री फार्मर्स ?

उनका कहना है कि अमेरिकी दबाव में अगर घरेलू बाजारों के दरवाजे उनके लिए खोले गए तो ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों लोगों को रोजगार देने वाला ये पोल्ट्री उद्योग बड़े संकट में आ जाएगा. खबरों की मानें तो अमेरिका से चिकन इंपोर्ट करने पर भी भारत ने टैक्स में काफी छूट देने का ऑफर दिया है. मौजूदा समय में अमेरिका से आने वाल चिकन लेग पर 100 फीसदी टैक्स लगता है.

अमेरिका से चिकन लेग व्यापार की आहट से पोल्ट्री उद्योग में जबर्दस्त घबराहट

इंपोर्ट ड्यूटी कम करने की आशंका

सूत्रों के मुताबिक इसे घटाकर 25 फीसदी किया जा सकता है. लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि अमेरिका चाहता है कि इसे और भी घटाकर 10 से 20 फीसदी किया जाए इंपोर्ट ड्यूटी कम होने से भारतीय पोल्ट्री उद्योग पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा, अगर चिकन पर इंपोर्ट ड्यूटी कम की जाएगी तो ऐसे में घरेलू पोल्ट्री उद्योग पर काफी असर पड़ेगा और वे छोटे फार्मर का मार्किट में टिक पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा, इसी को लेकर पोल्ट्री फार्म एसोसिएशन चिंतित है अगर ऐसा हुआ तो छोटे किसान बेराजगार हो जाएंगे.

ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा इंपोर्ट ड्यूटी को घटाने की बजाए वापस 100 फिसदी ही रखी जानी चाहिए. जींद के पोल्ट्री फार्मरों ने लघु सचिवालय पहुंचकर एसडीएम को पीएम के नाम ज्ञापन सौंपा.

किसानों ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आ रहे हैं और उनके साथ व्यापार के समझौते में उनकी मांग है कि अमेरिका से चिकन लेग पीस में जो इंपोर्ट ड्यूटी है उसे घटाकर 10 से 20 परसेंट कर दिया जाए लेकिन अगर ऐसा होता है तो भारतीय पोल्ट्री उद्योग पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा और भारत में चिकन का रेट बहुत कम हो जाएगा जिससे कम्पीटिट कर पाना भारतीय पोल्ट्री उद्योग के लिए संभव नहीं है.

पोल्ट्री फार्मर यूनियन का का कहना है कि पोल्ट्री फार्म की वजह से किसानों का मक्का और अन्य फसलों के ठीक भाव चल रहे हैं और पोल्ट्री फार्म की वजह से लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है, अगर पोल्ट्री फार्म का व्यवसाय डूबता है तो किसानों पर भी इसका बड़ा असर पड़ेगा. क्योंकि किसानों की अधिकतर फसलें जैसे मक्का चावल का छिलका व अन्य कई फसलें पोल्ट्री फार्म में फीड के रूप में प्रयोग होती हैं.

अगर सरकार ये फैसला लेती है कि अमेरिका से चिकन लेग पीस पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाई जाएगी तो पोल्ट्री फार्म का भारतीय बाजार बैठ जाएगा और पोल्ट्री फार्म द्वारा बैंक से लिए गये ऋण चुकाना भी संभव नहीं हो पाएगा.

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