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जींद की जंग में उम्मीदवार आजमा रहे किस्मत, इन तीनों में कड़ा मुकाबला - महावीर गुप्ता न्यूज जींद

यूं तो जींद की जंग में कई उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. लेकिन कांटे की टक्कर केवल 3 उम्मीदवारों के बीच ही है ये तीनों उम्मीदवार पूर्व विधायकों के बेटे हैं.

जींद की जंग में उम्मीदवार आजमा रहे किस्मत

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Published : Oct 8, 2019, 11:09 AM IST

Updated : Oct 8, 2019, 11:14 AM IST

जींद:हरियाणा विधानसभा चुनाव के चुनावी दंगल में प्रत्याशी कूद चुके हैं. बात करें जींद की तो यहां भी चुनावी रण सज चुका है और यहां के प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. इस बार जींद विधानसभा से तीन पूर्व विधायकों के पुत्र आमने-सामने होंगे. इन तीनों विधायक पुत्रों को बीजेपी, जेजेपी और कांग्रेस पार्टियों ने चुनाव मैदान में उतारा है.

पूर्व विधायकों के पुत्रों में कड़ा मुकाबला
पूर्व विधायक मांगेराम गुप्ता, पूर्व मंत्री बृजमोहन सिंगला और स्व. डॉ. हरिचंद मिड्ढा की, जिनके पुत्र इस बार विधानसभा चुनाव में हैं. पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता के पुत्र महावीर गुप्ता जेजेपी से, पूर्व विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा के पुत्र डॉ. कृष्ण मिड्ढा बीजेपी से और पूर्व मंत्री बृजमोहन सिंगला के पुत्र अंशुल सिंगला कांग्रेस से चुनाव मैदान में हैं.

ये थे 2014 में जींद के परिणाम

ये थे 2014 में जींद के परिणाम
जींद विधानसभा क्षेत्र से साल 2014 में इनेलो की टिकट पर विजय हासिल करने वाले डॉ. हरिचंद मिड्ढा का वर्ष 2018 में निधन हो गया था. उनके निधन के बाद उनके बेटे डॉ. कृष्ण मिड्ढा बीजेपी में शामिल हो गए थे और जनवरी 2019 में हुए उप चुनाव में वो बीजेपी की टिकट पर मैदान में आए और जीत हासिल की. बीजेपी की लहर के चलते डॉ. कृष्ण मिड्ढा इस बार पिछली बार से भी ज्यादा मजबूत दिखाई दे रहे हैं.

साल 2014 में इनेलो प्रत्याशी डॉ. हरिचंद मिड्ढा को 31631 मत प्राप्त हुए थे. जबकि दूसरे स्थान पर बीजेपी के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह बरवाला को 29374 मत प्राप्त हुए. तीसरे स्थान पर कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद सहवाग रहे इन्हें 15267 मत प्राप्त हुए. अब यहां बीजेपी के प्रत्याशी चलते डॉ. कृष्ण मिड्ढा, कांग्रेस प्रत्याशी अंशुल सिंगला और जेजेपी प्रत्याशी महाबीर गुप्ता के बीच कड़ा मुकाबला है. मगर इनमें डॉ. कृष्ण मिड्ढा सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं.

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जींद विधानसभा सीट का जानें चुनावी इतिहास

  • 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार मांगे राम ने 15,751 वोटों से जीत हासिल की. जबकि जेएनपी के प्रताप सिंह 9,646 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. 1982 के चुनावों में लोकदल के ब्रिज मोहन 27,045 वोटों के साथ जीते. उन्होंने कांग्रेस के मांगे राम को 146 वोटों के बेहद कम अंतर से हराया था.
  • 1987 के चुनावों में लोकदल पार्टी सत्ता में आई. इस बार लोकदल के प्रमानंद 39,323 वोटों से जीते. उन्होंने कांग्रेस के मांगे राम गुप्ता को हराया. मांगे राम को 31,221 वोट मिले थे.
  • इसके बाद 1991 में चुनाव हुए और कांग्रेस सत्ता में आई. इस बार कांग्रेस के मांगे राम गुप्ता ने 35,346 वोटों के साथ जीत हासिल की.उन्होंने जेपी के टेकराम को 16,133 वोटों के अंतर से हराया.
  • फिर 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर एचवीपी के ब्रज मोहन ने 40,803 वोटों के साथ कांग्रेस के मांगे राम को मात दी. उन्होंने मांगे राम को 18,558 वोटों के अंतर से हराया.
  • इसके बाद साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मांगे राम गुप्ता एक बार फिर सत्ता में आए. उन्होंने इस बार 41,621 वोट हासिल किए और इनेलो के गुलशन लाल को 4,643 वोट के अंतर से हराया.
  • 2005 में हुए चुनावों में भी कांग्रेस के मांगे राम गुप्ता का इस सीट पर कब्जा रहा. उन्होंने पिछली बार से अधिक 43,883 वोटों के साथ जीत हासिल की. इस बार उन्होंने इनेलो के सुरेंद्र सिंह को हराया. इन चुनावों में सुरेंद्र सिंह को 26,448 वोट मिले थे.
  • साल 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में भी इनेलो के ही हरी सिंह मिड्ढा ने जीत हासिल की थी. इस चुनाव में उन्हें 34,057 वोट मिले थे. उनकी टक्कर कांग्रेस के मांगे राम से थी. 2009 में हुए चुनाव में मांगे राम को 26,195 वोट हासिल हुए थे.
  • वहीं साल 2014 में मांगे राम का स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा.
Last Updated : Oct 8, 2019, 11:14 AM IST

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