जींद: कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के पहलवानों से पूरे देश को उम्मीद थी. इस उम्मीद को बरकरार रखते हुए उन्होंने दिश को निराश भी नहीं किया. धुरंधर पहलवान अंशु मलिक से भी पूरा देश उम्मीद लगाये बैठा था. अंशु मलिक का जन्म 5 अगस्त 2001 को जींद जिले के छोटे से गांव निडानी (anshu malik village name) में हुआ है. गांव से ही अंशु ने दंगल की शुरुआत की. देश की धाकड़ छोरी ने कॉमनवेल्थ के लिए बहुत पसीना बहाया था.
अंशु मलिक ने 3 साल पहले जूनियर वर्ग में होते हुए भी सीनियर नेशनल खेला और गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो एक के बाद एक जीत दर्ज करते हुए 57 किलो भार वर्ग में देश के धुरंधर पहलवानों में शामिल हो गईं. महज 19 साल की उम्र में अंशु ने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था. हलांकि टोक्यो में वो मेडल जीतने से चूक गई थीं.
दादी से मिली खेलने की प्रेरणा- अंशु मलिक की मां मंजू मलिक ने बताया कि अंशु को खेल की प्रेरणा उनकी दादी से मिली है. दादी से प्रेरणा मिलने के बाद अंशु ने 2013 से खेल शुरू कर दिया था. इसके बाद उन्होंने लगातार मेडल हासिल किए. परिवार के सभी लोग अंशु को बेटे की तरह ही ध्यान रखते हैं और खूब लाड़ करते हैं.