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बजट से किसानों को हैं ये उम्मीदें, क्या खरा उतर पाएंगी वित्त मंत्री? - बजट से किसानों को उम्मीद हरियाणा

केंद्र सरकार के द्वारा 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट से किसानों को क्या उम्मीदें हैं, ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने बात की जींद के किसानों से.

Farmers Reaction on union Budget 2020
Farmers Reaction on union Budget 2020

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Published : Jan 31, 2020, 7:23 PM IST

जींद: मोदी सरकार 1 फरवरी को अपने दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करने जा रही है. बजट में किसानों और कृषि क्षेत्र की आय 2022 तक दुगना करने का लक्ष्य है. वहीं इस बजट को लेकर किसानों का कहना है कि सरकार को छोटे किसानों की ओर ध्यान देना चाहिए ताकि उनका भी कुछ भला हो सके.

छोटे किसानों को बिजली कनेक्शन नहीं मिल पाते क्योंकि उसके लिए कम से कम 2 एकड़ की शर्त रखी गई है जिसको लेकर भी सरकार को बदलाव करना चाहिए. वहीं किसानों ने सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत दी जा रही 6000 रु की सहायता राशि को कम बताते हुए कहा कि 6000 रु की बजाय कम से कम सरकार को 15000 रु किसानों को देने चाहिए.

बजट से किसानों को हैं ये उम्मीदें, क्या खरा उतर पाएंगी वित्त मंत्री?

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बता दें कि किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना की राशि को जारी रखा जाएगा. हालांकि अभी तक सिर्फ 8.5 करोड किसानों को ही इसका फायदा मिला है. ऐसे में इस बार इसके लिए बजट में बढोत्तरी किए जाने की संभावना है. पिछले साल इस योजना के लिए 75,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. पिछले साल 14 करोड़ किसानों को राशि देने का फैसला किया था. अभी तक 9.2 करोड़ किसानों का डाटा मिला है और अब तक किसानों को करीब 50,000 करोड़ रुपये की राशि बांटी गई है.

किसानों का कहना है हमें हमारी फसलों की कीमत मिले और सरकार जो भी वादा करे उस पर अमल किया जा सके. फसलों का उचित मूल्य मिले और खाद-बीज के दामों पर नियंत्रण के साथ सब्सिडी भी मिले. साथ में सिचांई व अन्य संसाधनों को दुरुस्त किया जाएगा. किसान हित के नाम पर चलाई गई योजनाओं को सरल बनाया जाए.

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की सुनवाई के लिए आयोग है, लेकिन किसान के लिए आज तक कोई आयोग नहीं बना है. इसलिए केंद्र सरकार को चाहिए की किसान आयोग का गठन करे ताकि किसान भी आयोग के जरिए अपनी बात उचित फोरम पर रख सकें. एक बार फिर आम बजट से किसान को बहुत सारी उम्मीद है. अब देखना ये है कि सरकार उस पर कितना खरा उतरती है.

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