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एक दिन में ढाई हजार लोगों के बराबर खा जाता है टिड्डी दल, जानिए टिड्डियों का पूरा जीवन चक्र - locust Danger for farmers haryana

हरियाणा में लगातार टिड्डी दल का खतरा बना हुआ है. प्रशासन अलर्ट पर है. जानकारों के मुताबिक टिड्डी दल चंद मिनटों में खेतों में लहराती फसलों को चट कर सकती हैं.

why locust Danger for farmers
क्यों खतरनाक है टिड्डी दल

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Published : May 30, 2020, 8:57 PM IST

Updated : Jun 27, 2020, 1:52 PM IST

हिसार: टिड्डी दल हरियाणा सरकार और किसान के लिए चिंता का कारण बना हुआ है. प्रशासन टिड्डी दल से निपटने के लिए तैयारी के दावे कर रहा है. प्रशासन अलर्ट पर है. टिड्डी दल इतना खतरनाक क्यों है कि प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें पड़ गई है. जानकारों के मुताबिक टिड्डी दल चंद मिनटों में खेतों में लहराती फसलों को चट कर सकती हैं.

टिड्डियों की 10 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं. वहीं भारत में इनकी चार प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं. टिड्डी दल शाम के समय फसलों को अपना भोजन बनाती हैं. टिड्डी बड़े पेड़ों जैसे किकर आदि पर रात के समय रुकते हैं.

कीट विशेषज्ञों के अनुसार 10 हजार प्रति हेक्टेयर से ज्यादा संख्या में टिड्डी का झुंड देखे जाने पर किसानों को उपाय करने की आवश्यकता है. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विशेषज्ञ डॉक्टर योगेश कुमार ने बताया कि टिड्डी एक कीट है. टिड्डी दल अकेले और झुंड में दो प्रकार से रहती हैं. टिड्डियों के झुंड को टिड्डी दल कहा जाता है.

आखिर क्यों खतरनाक है टिड्डी दल? जानिए टिड्डियों का पूरा जीवन चक्र

क्यों है खतरा?

  • भारत में टिड्डियों की चार प्रजातियां पाई जाती हैं.
  • डेसर्ट लोकस्ट, माइग्रेटरी लोकस्ट, बॉमबे लोकस्ट, ट्री लोकस्ट
  • टिड्डी झुंड में रहती हैं, वो एक साथ उड़ती हैं.
  • टिड्डी दल एक साथ फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं
  • टिड्डी एक बहुभक्षी कीट है.
  • नीम को छोड़कर सभी वनस्पतियों को अपना भोजन बनाता हैं.
  • टिड्डी दल दिन के समय उड़ता है और रात को आराम करने के लिए फसलों पर बैठता है. जहां वो फसलों को अपना शिकार बनाता है.

टिड्डियों का जीवन चक्र

डॉक्टर योगेश कुमार ने बताया कि टिड्डी रेगिस्तानी इलाकों में अपना प्रजनन करती हैं. देश में राजस्थान, गुजरात का कच्छ, भुज आदि इलाकों में इनका प्रजनन होता है. प्रजनन और जीवन काल के बारे में डॉक्टर योगेश कुमार ने बताया कि टिड्डी पर मौसम का प्रभाव पड़ता है. टिड्डी नमी युक्त रेतीली मिट्टी में अंडे देती हैं. अंडे से बाहर निकलने में टिड्डी को लगभग दो हफ्तों का समय लगता है. इसके 5 हफ्तों के बाद इनमें पंख निकल आते हैं. वहीं मादा टिड्डी लगभग 12 हफ्तों में प्रजनन के लिए व्यस्क हो जाती है, यदि मौसम अनुकूल रहे.

टिड्डियों से बचाव के उपाय

टिड्डी से फसलों को बचाने के उपायों के बारे में बताते हुए डॉ योगेश कुमार ने बताया कि यदि प्रति हैक्टेयर 10 हजार से ज्यादा संख्या में टिड्डी दल देखा जाता है तो किसानों को कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए. टिड्डी दल शाम के समय कीकर के पेड़ों पर अधिक बैठता है. इसलिए कीकर के पेड़ों पर शाम के समय कीटनाशक स्प्रे किया जा सकता है.

किसानों को टिड्डी दल से बचाव के लिए कीटनाशकों की जानकारी देते हुए डॉ. योगेश कुमार ने बताया कि किसान, क्लोरोपायरीफोस, 20 सीएबी, 50 सीएबी, लैम्डा सायलोथ्रीन, डेल्टामैथ्रीन, मेलाथियान आदि कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकता है. यह सभी कीटनाशक एफएओ की तरफ से सुझाए गए हैं.

जहां जाते है विनाश करते हैं!

औसत रूप से एक छोटे टिड्डी का झुंड एक दिन में इतना खाना खा जाता है, जितना दस हाथी, 25 ऊंट या 2500 व्यक्ति खा सकते हैं. टिड्डियां पत्ते, फूल, फल, बीज, तने और उगते हुए पौधों को भी खा जाते हैं और जब ये समूह में पेड़ों पर बैठती हैं तो इनके भार से पेड़ तक टूट जाते हैं.

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Last Updated : Jun 27, 2020, 1:52 PM IST

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