हिसार:ठेके खुलने के बाद शराब के मनमाने रेट लिए जा रहे हैं. एक तरफ शराब के रेट बढ़ाने का फायदा सीधे तौर पर शराब के कारोबारियों को हो रहा है. शराब के अचानक रेट बढ़ने से सरकार को टैक्स कम मिल रहा है लेकिन शराब कारोबारियों को इसके बावजूद भी मोटा मुनाफा मिल रहा है.
डीईटीसी विजय कौशिक ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश की आबकारी नीति में मिनिमम रिटेल प्राइस निर्धारित किए गए हैं. वहीं उन्होंने बताया कि आबकारी नीति में मैक्सिमम रिटेल प्राइस निर्धारित नहीं किए गए हैं. लॉकडाउन में शराब की फैक्ट्रीयां भी बंद होने के कारण शराब की कमी है, जिसके कारण रेट बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि फैक्ट्रियों में पर्याप्त शराब होने के बाद प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और रेट कम होते चले जाएंगे.
'प्रदेश की आबकारी नीति में निर्धारित नहीं है शराब का मैक्सिमम रिटेल प्राइस' सरकार ने सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए शराब के ठेके खोलने के आदेश दिए हैं. ठेकों में शराब की कमी के कारण ठेकों में शराब के मनमाने रेट वसूल किए जा रहे हैं. सरकार की आबकारी नीति में मिनिमम रिटेल प्राइस निर्धारित किए हैं लेकिन मैक्सिमम रिटेल प्राइस निर्धारित नहीं किए गए हैं. इस नियम की आड़ में ठेकेदार मोटा मुनाफा लॉकडाउन के दौरान कमा रहे हैं.
बता दें कि लॉकडाउन में सरकार ने शराब के ठेके सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक खोलने के आदेश दिए. कोरोना वायरस चलते शराब पर कोविड-19 सेस लगाया गया, जो 5 रुपये से 50 रुपये प्रति बोतल की दर से लगाया गया.
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