हिसार:हरियाणा के हिसार में भारी बारिश के कारण कपास की फसल को काफी नुकसान हुआ (Cotton Crop Destroyed In Hisar) है. दरअसल, बारिश के समय कपास की फसल में जल प्रबंधन बहुत जरूरी है, वरना फसल खराब हो जाती है. हिसार में भारी बारिश के कारण कपास की फसल में जहां भी पानी रुका और फिर धूप लगी तो फसल बर्बाद हो गई है. जिसकी वजह से हरियाणा में कई किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. किसान सरकार से खराब फसलों के मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
हिसार के उकलाना, बरवाला, नारनौद आदि क्षेत्र में नरमा के साथ-साथ बाजरा, ग्वार व कई स्थानों पर धान की फसल भी नष्ट हुई है. नरमा यानी कपास की फसल में पौधे पर ही बीज अंकुरित हो गए है. हरियाणा मे पिछले साल 15.90 लाख हेक्टेयर कपास की फसल की खेती की गई (cotton crop farming in haryana) थी. इस बार 19 लाख 25 हजार हेक्टेयर कपास की फसल बुवाई का लक्ष्य रखा गया था. कपास मुख्य रूप से सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, जींद, सोनीपत, पलवल, गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी और चरखी दादरी जिलों में उगाया जाता है.
गुलाबी सुंडी ने ज्यादातर जगहों पर कपास की फसल को चौपट कर दिया. हरियाणा में कपास उत्पादन (cotton production in haryana) के मामले में सिरसा जिले का नाम पहले नंबर पर आता है. पिछली साल सिरसा में कपास की 2 लाख 8 हजार हेक्टेयर भूमि पर कपास की बुआई (cotton sowing) हुई थी. इस बार अधिक बारिश और गुलाबी सुंडी ने ज्यादातर जगहों पर कपास की फसल को चौपट कर दिया. गुलाबी सुंडी और बारिश से नरमा की फसल को हिसार में 60 से 70 प्रतिशत फसलों को नुकसान हुआ है. पिछले 2 सालों से कपास की उत्पादन कम होने के कारण भाव भी तेज हो गए हैं.
हरियाणा मे पिछले साल 15.90 लाख हेक्टेयर कपास की फसल की खेती की गई थी. व्यापारी नानक सिंह ने कहा कि दो साल पहले तक सामान्य तौर पर हरियाणा में नरमा का भाव (Cotton Price In Haryana) पांच हजार से साढ़े पांच हजार के बीच रहता था. पिछले साल भी इसी समय कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी कीटों का हमला हुआ (bollworm attack on cotton) था और राज्य में करीब 60 फीसदी फसल को नुकसान पहुंचा. नतीजा उत्पादन में कमी आई और दाम बढ़ गए. पिछले साल 2021 में जहां भाव नौ हजार के आस-पास चल रहा था. वहीं इस साल आवक कम होने की वजह से भाव दस हजार दो सौ रुपये से भी ऊपर पहुंच चुका है. उन्होंने कहा कि हरियाणा से ज्यादातर कपास की फसल चाइना और मलेशिया में एक्सपोर्ट की जाती है. हालांकि हरियाणा में कपास के दाम बढ़ जाने की वजह से रूई मील मालिक फिलहाल कपास की खरीद कम कर रहे हैं.
हिसार जिले में बारिश और गुलाबी सुंडी की वजह से कपास की फसल काफी बर्बाद हुई है. कृषि विभाग के आंकड़ो के मुताबिक हिसार में किसानों ने 3 लाख 39 हजार 980 हेक्टेयर में कपास फसल की बुआई (cotton sowing In hisar) की है. ज्यादा बारिश के कारण कपास की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. हिसार में सबसे ज्यादा नारनौंद हलके में नुकसान हुआ है. वहां पर 33 हजार 550 हेक्टेयर में फसल बर्बाद हुई है. कृषि विभाग ने कपास फसल में बारिश से हुई नुकसान हो लेकर आकलन रिपोर्ट तैयार की जो सरकार को भेजी जाएगी.