गुरुग्राम:इस बैठक में छह प्रस्ताव रखे गए जिनमें पार्षदों ने अपने रखे गए एजेंटों पर चर्चा करने की बात कही लेकिन मेयर की सहमति के न चलते हुए पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया और सदन से वॉक आउट कर गए.
दरअसल गुरुग्राम नगर निगम सदन की बैठक में पार्षदों के वाक आउट होने का यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी पार्षदों ने सदन में अपने प्रस्तावों को न रखने के चलते सदन से वॉकआउट किया है लेकिन इस बार पार्षदों ने कहा कि पार्षदों की कोई भी सुनवाई नहीं होती है.
इतना ही नहीं पार्षदों ने यह भी कहा कि जब अधिकारी मेयर की ही नहीं सुनते हैं तो पार्षदों की कैसे सुनेंगे क्योंकि नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है. इस दौरान पार्षदों ने कहा कि हमें एक करोड़ रुपए की पावर दी जाए ताकि हम अपने वार्ड में विकास कार्य करा सकें जैसे दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद कॉरपोरेशन में पार्षदों को एक करोड़ रुपए की पावर है.
गुरुग्राम नगर निगम की बैठक में हंगामा, पार्षदों ने किया बैठक का बहिष्कार. ये भी पढे़ं:- बेरोजगारी की वजह से नशे का शिकार हो रहे हैं युवा, बर्बाद होने के कगार पर परिवार
वहीं बैठक में इको ग्रीन कंपनी को रद्द करने की मांग की गई. हॉउस की बैठक में जब पास कर दिया है कि इको ग्रीन कंपनी कूड़ा उठाने के लोगों से पैसे चार्ज नहीं कर सकती है. उन्हें पैसे चार्ज करने की कोई पावर नहीं है. लेकिन फिर भी इको ग्रीन कंपनी नहीं मान रही है. पार्षद धर्मवीर भदौरिया ने कहा कि मेयर नहीं चाहती है कि सदन की बैठक चलें क्योंकि मेयर अधिकारियों के साथ मिलकर मलाई खा रही हैं. वहीं निगम में छोटी डीपीआर के तहत जल्दी से काम नहीं होता है क्योंकि बड़ी डीपीआर से ज्यादा मलाई आती है.
वहीं शहरी निकाय विभाग का अनिल विज को मंत्री बनाए जाने पर भी धर्मवीर ने कहा कि गुरुग्राम नगर निगम एक ऐसा निगम है जहां कभी भी करप्शन खत्म नहीं हो सकता है. अनिल विज क्या देवता भी आ जाए तब भी गुरुग्राम नगर निगम में करप्शन खत्म नहीं हो सकता. वहीं पार्षद ब्रहम यादव ने इकोग्रीन का ठेका रद्द करने की मांग की.
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पार्षद आरती यादव ने कहा कि जनता के चुने हुए नुमाइंदे की ही अधिकारी नहीं सुनते हैं तो आम जनता की क्या सुनेंगे. इको ग्रीन के मामले में 35 पार्षदों ने एक ही सुर में आवाज उठाई है फिर भी हमारी बातें नहीं सुनी जाती हैं. वहीं मेयर मधु आजाद ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा कि जब मेयर के पास ही अधिकारियों की एसीआर लिखने की रिपोर्ट नहीं है तो पार्षदों के पास कैसे हो सकती है.
इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि जिला परिषद के चेयरमैन को एसीआर की पावर दी गई है तो मेयर को क्यों नहीं. मेयर के पास चपरासी तक की भी पावर नहीं है. हालांकि नगर निगम का एक साल का बजट 2200 करोड़ का है लेकिन मेरे पास एक रुपया भी अपनी मर्जी से विकास कार्य पर लगाने की अनुमति नहीं है.
बता दें कि गुरुग्राम नगर निगम पहले से ही सुर्खियों में रहा है लेकिन इस बार नगर निगम में पार्षद और मेयर ही आमने सामने दिख रहे हैं. अब लगातार पार्षद भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में अनिल विज के लिए भी अब चुनौती है कि वो गुरुग्राम नगर निगम में हो रहे भ्र्ष्टाचार पर कैसे लगाम लगाते हैं.
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