फरीदाबाद:अंधविश्वास और मान्यातएं, हमारे देश में कई ऐसी जगह हैं जिनसे ये दोनों चीजें जुड़ी मिलती हैं. ऐसी ही एक जगह है हरियाणा के फरीदाबाद जिले के गांव पृथला में. यहां एक ऐसा जंगल है जहां से अगर कोई लकड़ी लेकर जाता है तो उसके साथ अनहोनी होने लगती है. उसका आर्थिक नुकसान होता है और परिवार में मौत तक हो जाती है.
इस मान्यता और इस जंगल से जुड़ी सच्चाई जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम उस जंगल में पहुंची, और पूरी बात का पता लगाया है जो अब हम आपको सुनाने जा रहे हैं..
साधु नरसिंह से जुड़ी है ये कहानी
दिल्ली से सात किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे नंबर-19 के साथ ये पृथला गांव बसा है. इस गांव में नरसिंह धाम है जिसे करिया की बनी के नाम से जाना जाता है. यहां पर करीब ढाई सौ साल पहले नरसिंह नामक साधु ने तपस्या की थी और उन्हीं के नाम पर इसका नाम बाबा नरसिंह धाम रखा गया. यहां उनका मंदिर बनाया गया.
बाबा नरसिंह ने किया था कठोर तप
करीब ढाई सौ साल पहले जब बाबा नरसिंह यहां आए थे तो यहां बेहद घने जंगल हुआ करते थे. बाबा ने यहीं पर कठोर तप किया और लकड़ियों का एक मंदिर बनाया जिसके बाद धीरे-धीरे यहां पर छोटे-छोटे कई मंदिर बनाए गए.
नरसिंह धाम के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक ये है कि इस धाम के चारों तरफ फैले जंगल से कोई लकड़ी लेकर घर नहीं जाता. ऐसा नहीं है कि जंगल में से लकड़ी तोड़ी नहीं जाती, लेकिन तोड़ी हुई लकड़ी को कोई घर पर लेकर नहीं जाता.
केवल मंदिर के काम में इस्तेमाल होती है लकड़ी
नरसिंह धाम के महंत कांता दास ने बताया कि मान्यता के अनुसार कोई यहां की लकड़ी को निजी काम के लिए प्रयोग नहीं कर सकता, ना ही उस लकड़ी को बेच सकता है. जब-जब किसी ने यहां से लकड़ी लेकर जाने की कोशिश की या फिर उस लकड़ी को बेचा तब तक उसको जान और माल की हानि उठानी पड़ी. इस जंगल की लकड़ी को केवल मंदिर और जंगलों के परिसर में ही प्रयोग में लाया जाता है.