चंडीगढ़: एक तरफ जयपुर में चिंतन शिविर (Congress Chintan Shivir) में कांग्रेस पार्टी नई रणनीति के साथ आगे बढ़ने की तैयारी कर चुकी है. वहीं, तीन दिनों के चिंतन शिविर के बाद पार्टी ने बड़े सुधारों की घोषणा की है. जिनमें मुख्य रूप से पार्टी में युवाओं की भूमिका बढ़ाने पर जोर दिया गया है. पार्टी में ‘एक परिवार, एक टिकट’ का फार्मूला लागू करने, संगठन में हर स्तर पर युवाओं को 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व देने और अगले लोकसभा चुनाव से 50 प्रतिशत टिकट 50 साल से कम उम्र के लोगों को देने का भी फैसला किया गया है.
चिंतन शिविर में जो कुछ हुआ उसे देखकर लगता है कि कांग्रेस आने वाले दिनों के लिए पार्टी और उसके संगठन को नए कलेवर के साथ आगे बढ़ने की तैयारी में है. लेकिन पंजाब और हरियाणा में बिते दिनों हुए संगठन में बदलाव के बाद भी दोनों प्रदेशों में पार्टी के कुछ नेताओं की नाराजगी अभी भी बरकरार है. चिंतन शिविर के दौरान ही पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व पार्टी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पार्टी से किनारा कर लिया. वहीं दूसरे पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी उसी राह पर चलते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि वे अभी पार्टी में मौजूद हैं, लेकिन उनके तेवर और व्यवहार पार्टी से अलग दिखाई देते हैं.
वहीं हरियाणा में हुए संगठनात्मक बदलाव के बाद नए अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्षों ने भी अपनी जिम्मेदारी संभाल ली है, लेकिन यहां पर भी पार्टी के नेता कुलदीप बिश्नोई बदलावों को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं, हालांकि वे अभी शांत दिखाई दे रहे (chintan shivir in udaipur) हैं. लेकिन भविष्य में भी इसी तरह रहेंगे यह देखना भी दिलचस्प होगा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जयपुर में चिंतन शिविर से इन दोनों प्रदेशों में कांग्रेस के हालात बदलेंगे? साथ ही जो नेता अभी इन दोनों राज्यों में पार्टी से नाराज चल रहे हैं वे अपनी नाराजगी छोड़कर संगठन को मजबूत करने का काम करेंगे?
राजनीतिक मामलों के जानकार गुरमीत सिंह कहते हैं कि (Gurmeet Singh on congress present situation) कांग्रेस देश की वर्तमान स्थिति के साथ आगे बढ़ने के प्रयास कर रही है, लेकिन वो इन प्रयासों को जमीन पर उतारे के बाद कैसे आगे बढ़ेगी यह आने वाले दिनों में सामने आएगा. हालांकि वे मानते हैं कि कांग्रेस जिस तरह युवाओं और एक परिवार एक टिकट की बात कर रही है वो कांग्रेस के लिए धरातल पर ला पाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा. क्योंकि पार्टी के अंदर कई ऐसे नेता है जिनके परिवार से एक से ज्यादा लोग कांग्रेस के झंडे तले चुनाव लड़ते हैं. ऐसे में उनका क्या होगा?