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स्पेशल रिपोर्ट: हरियाणा में खत्म हो रहा भूमिगत जल, कई जिले डार्क जोन घोषित, धान की खेती पर संकट - water level in haryana

हरियाणा में भू-जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां भू-जल 20 से लेकर 60 मीटर नीचे तक पहुंच चुका है. कई क्षेत्रों में पानी 80 मीटर नीचे तक जा चुका है. हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. इसी पर देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट.

water crisis in haryana

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Published : May 31, 2019, 1:53 PM IST

Updated : May 31, 2019, 5:58 PM IST

चंडीगढ़: आने वाले कुछ सालों में राज्य में पानी का भयानक संकट पैदा हो सकता है. भू-जल स्तर बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है. तालाब सूख चुके हैं, नहरों में पानी नहीं है. दिन भर चल रहे ट्यूबवेल धरती में जमा पानी सोख रहे हैं.

हरियाणा में पैदा हो रहे जल संकट पर स्पेशल रिपोर्ट, देखिए.

कई जिले हैं डार्क जोन में

यहां भू-जल सर्वेक्षण के लिए बनाए गए 128 ब्लाक्स में से 78 ब्लॉक एरिया में भू-जल की स्तिथि काफी खराब है. इनमें से 14 ब्लॉक्स क्रिटिकल जबकि 11 सेमी क्रिटिकल हैं. 2013 में 119 ब्लॉक्स में से 64 डार्क जोन में थे. बादरा, टोहाना, गुरुग्राम, गुहला चीका, लाड़वा, पिहोवा, बपौली, रनियां, फरीदाबाद और बल्लभगढ़ समेत 21 ब्लॉक्स में ट्यूबवेल कनेक्शन पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है.

1995 में अम्बाला में 8.30 मीटर तक पानी मिल जाता था लेकिन 2018 के सर्वेक्षण के मुताबिक पानी 11.44 मीटर तक पहुंच चुका है. महेंद्रगढ़ में 29 मीटर से पानी करीब 49 पहुंच चुका है. भूमिगत जल स्तर घटने के चलते पानी में कई तरह से प्रदूषित भी हो रहा है. कई जिलों में आयरन, नाइट्रेट, फ्लोराइड, खारापन, आर्सोनिक और हेवी मेटल जिनमें लेड और कैडमियम जैसे तत्व शामिल हैं, पानी में पाए जा रहे हैं.

कहां और कैसे हो रही है पानी की बर्बादी ?

बता दें कि घटते ग्राउंड वाटर की सबसे बड़ी वजह ट्यूबवेल से फसलों की सिंचाई मानी जा रही है. धान की खेती में पानी सबसे ज्यादा लगता है. हरियाणा गठन के समय धान का रकबा 1 लाख 92 हजार हेक्टेयर था जो पिछले साल 14 लाख 22 हजार हेक्टेयर को पार कर गया. एक एकड़ धान में करीब 26 बार पानी लगाने की जरूरत पड़ती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक एक किलोग्राम चावल पैदा करने के लिए करीब 5389 लीटर पानी की खपत होती है.

पानी बचाने की ये है सरकार की योजना
जल संकट से बचने के लिए हरियाणा सरकार ने मक्का और अरहर की खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया है. सरकार धान की खेती छोड़ने वालों को सब्सिडी भी देगी. इस योजना के तहत किसानों को मुफ्त में बीज उपलब्ध करवाया जाएगा. इसके अलावा हरियाणा तालाब प्राधिकरण की योजना भी शुरू हो चुकी है. जिसके जरिए प्रदेश में करीब 14 हजार तालाबों का पानी इस्तेमाल किया जायेगा.

खैर पानी बचाने के लिए सरकार के साथ-साथ हमें भी कुछ सुधार करना होगा. किसान हो या नौकरीपेशा लोग सबको पानी बचाने के लिए सहयोग करना होगा. किसानों को समझना होगा कि यदि ज्यादा पानी प्रयोग करने वाली फसल को नहीं छोड़ा गया तो हालात बहुत जल्दी हाथ से बाहर निकल जाएंगे. वहीं अन्य लोगों को भी पानी को बर्बाद करना बंद करना होगा इसमें कई चीजें आती हैं जैसे कि वाहनों को धोने पर पानी बर्बाद करना, बेवजह पानी बहाना, बारिश के पानी को स्टोर करने के बारे में नहीं सोचना आदि. अगर समय रहते भू-जल बचाने के लिए ठोस रणनीति नहीं बनाई गई तो पानी का भयानक अकाल देखना पड़ सकता है.

Last Updated : May 31, 2019, 5:58 PM IST

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