चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा (leader of opposition bhupinder singh hooda) ने बुधवार को चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर लगातार दूसरे दिन पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक ली. इस मौके पर उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वो जनहित के मुद्दों को लेकर संघर्ष के लिए कमर कस लें. उन्होंने कहा कि 'विपक्ष आपके समक्ष' (Vipaksh Aapke Samaksh program) का अगला कार्यक्रम 13 मार्च को कुरुक्षेत्र में होगा. अबतक हुए कार्यक्रमों की सफलता और उनमें हजारों की तादाद में अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे आम लोगों की हाजिरी बताती है कि जनता के सामने समस्याओं का अंबार लगा हुआ है.
सरकार से निराश जनता अब उम्मीद भरी नजरों से विपक्ष की तरफ देख रही है. विपक्ष के दबाव के चलते विकास शुल्क में भारी बढ़ोतरी के फैसले पर सरकार को यू-टर्न लेना पड़ा जो बताता है कि जनशक्ति के सामने जनविरोधी सरकारों को अपने फैसले वापस लेने ही पड़ते हैं. सरकार द्वारा विकास शुल्क के फैसले की वापसी से कार्यकर्ता बैठक में खासा उत्साह देखने को मिला. कार्यकर्ताओं ने इस अवैध सरकारी वसूली के खिलाफ आवाज उठाने के लिए नेता प्रतिपक्ष हुड्डा का आभार जताया. हुड्डा ने शुल्क बढ़ोतरी पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए इस मुद्दे को सड़क से लेकर सदन तक उठाने का ऐलान किया था.
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कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि गठबंधन सरकार ने प्रदेश की व्यवस्था को इस कदर तहस-नहस कर दिया है. हर वर्ग उससे परेशान है. आज आगनबाड़ी वर्कर, आशा वर्कर, कर्मचारी संगठन, कच्चे कर्मचारी, व्यापारी, किसान, पंचायत प्रतिनिधि, छंटनी ग्रस्त कर्मचारी समेत तमाम लोग आंदोलनरत हैं. 2014 से पहले जो प्रदेश विकास की रफ्तार में नंबर था, बीजेपी सरकार ने उस हरियाणा को बेरोजगारी, अपराध, नशे, महंगाई, भ्रष्टाचार, कर्जे और बदहाली में पहले पायदान पर पहुंचा दिया.
डोमिसाइल के लिए 15 साल की शर्त को घटाकर 5 साल करने जैसे फैसले लेकर गठबंधन सरकार हरियाणा वासियों के अधिकारों पर कुठाराघात कर रही है. खासकर इससे एससी और ओबीसी वर्ग के युवाओं को रोजगार मिलना मुश्किल हो जाएगा. नये डोमिसाइल के जरिए सरकार हरियाणा की डेमोग्राफी बदलकर मूल निवासियों के अधिकारों में कटौती करना चाहती है. अपनी इसी नीति के तहत सरकार द्वारा बुढ़ापा पेंशन, मनरेगा के तहत मजदूरी, छात्रवृत्ति और गरीबों के राशन, तेल, चीनी, नमक में कटौती की जा रही है. धीरे-धीरे सरकार तमाम कल्याणकारी योजनाओं को बंद करने की तरफ बढ़ रही है.