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CAA को लेकर बंटे पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र, सुनिए क्या कहा? - पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र सीएए प्रदर्शन

नागरिकता संशोधन कानून का मुद्दा पूरे देश में इस कदर फैल चुका है कि कोई भी राज्य इससे अछूता नहीं रहा है. कई जगह लगातार हिंसक घटनाएं और तोड़फोड़ की जा रही है. इस मुद्दे को लेकर पंजाब यूनिवर्सिटी में लगातार आवाज उठ रही है.

punjab university student on CAA
punjab university student on CAA

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Published : Dec 20, 2019, 8:10 PM IST

चंडीगढ़: जहां लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं तो कुछ लोग इसके समर्थन में भी सामने आ रहे हैं. हमने इस बारे में पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्रों से बात की तो छात्रों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली. जहां एक तरफ कई छात्र इसका समर्थन कर रहे थे और इस कदम के लिए सरकार की तारीख भी कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ कई छात्र इसका विरोध कर रहे थे.

समर्थन कर रहे छात्रों ने कहा सरकार इस कानून के जरिए पड़ोसी देशों में रह रहे अल्पसंख्यक लोगों को भारत में नागरिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि मुस्लिम देशों में हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, जैन आदि गैर मुस्लिम लोगों के साथ काफी अत्याचार होता है और सरकार उन अल्पसंख्यक लोगों को अत्याचारों से बचाकर अपने देश में शरण दे रही है.

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हो रही हिंसा पर सुनिए पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्रों का क्या कहना है.

इसके लिए सरकार की तारीफ करनी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने यह कहा कि सरकार ने इस बिल में मुस्लिमों को जगह नहीं दी है क्योंकि हमारे पड़ोसी तीनों देश मुस्लिम बहुल देश हैं और उन देशों में मुस्लिमों पर अत्याचार नहीं होते बल्कि मुस्लिम दूसरे धर्मों के लोगों पर अत्याचार करते हैं इसलिए मुस्लिमों को भारत की नागरिकता या भारत में शरण नहीं दी जाएगी जो एक सही कदम है. एनआरसी के जरिए देश में रह रहे घुसपैठियों को भी देश से निकाल दिया जाएगा.

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वहीं इस कानून का विरोध कर रहे छात्रों का कहना था कि सरकार धर्म की राजनीति कर रही है और मुस्लिमों को दबाने की कोशिश कर रही है. सरकार ने इस बिल में हर जगह हमारे तीन पड़ोसी मुल्कों का जिक्र किया है जबकि दुनिया में और भी बहुत से मुस्लिम देश हैं लेकिन सरकार के निशाने पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान ही क्यों है.

सरकार मुस्लिमों को कुचल कर सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने का काम कर रही है. उसे देश या देशवासियों से कोई मतलब नहीं है वह सिर्फ देश को धर्म के नाम पर बांटकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रही है. इन लोगों का कहना था कि नागरिकता कानून में कठोरता लाई जाए लेकिन उसे धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए.

पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में मुसलमान ज्यादा है लेकिन वहां भी शिया और अहमदिया मुसलमान हैं जो अल्पसंख्यक जनसंख्या में आते हैं और इन मुसलमानों पर भी काफी अत्याचार किया जाता है तो क्या इन्हें भारत में शरण नहीं मिलनी चाहिए लेकिन सरकार ने इस बारे में नहीं सोचा और पूरे मुस्लिम धर्म को ही से अलग कर दिया.

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उन्होंने कहा कि सरकार दूसरे देशों से आए लोगों को नागरिकता तो दे रही है लेकिन सरकार को इस बात का जवाब भी देना चाहिए कि जो लोग देश में पहले से रह रहे हैं उनके लिए सरकार के पास ना तो शिक्षा की व्यवस्था है और ना ही नौकरियां है फिर जिन लोगों को सरकार बुला रही है उन्हें शिक्षा कहां से देगी और कैसे उन्हें नौकरियां मुहैया कराएगी.

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