हरियाणा

haryana

ETV Bharat / city

पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है प्रतिमा विसर्जन - lucknow news

देश भर में गणेश पूजा हर्षोल्लास से मनाई गई. वहीं अब गणपति विसर्जन की तैयारियां शुरू हो गई हैं. गणपति विसर्जन को लेकर पर्यावरणविदों का मानना है कि प्रतिमा विसर्जन से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है.

पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है प्रतिमा विसर्जन

By

Published : Sep 10, 2019, 11:17 PM IST

चंडीगढ़/ लखनऊ:गणपति बप्पा के जाने की बेला आ गई, लेकिन विसर्जन के खिलाफ दुनिया भर में आवाजें उठ रही हैं. पर्यावरणविद भी नदियों तालाबों में प्रतिमा विसर्जन के खिलाफ पिछले दो दशकों से आवाज बुलंद कर रहे हैं. दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा या गणेश पूजा ही क्यों न हो, प्रतिमा विसर्जन के खिलाफ कई तर्क दिए जा रहे हैं, उनमें सबसे प्रभावी तर्क पर्यावरण प्रदूषण है. प्रतिमा विसर्जन को जहां पर्यावरण के लिए खतरनाक माना जाता है, वहीं समाज का एक बड़ा तबका इसे आस्था से जोड़कर देखता है.

पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है प्रतिमा विसर्जन, देखें वीडियो

प्लास्टर ऑफ पेरिस पर्यावरण के लिए नुकसानदायक
आज से 15 साल पहले मिट्टी की प्रतिमाएं बनती थीं. बदलते समय के साथ प्रतिमाओं की बनावट भी बदली और स्वरूप भी. प्रतिमाओं को बनाने के लिए अब मिट्टी के साथ प्लास्टर ऑफ पेरिस का प्रयोग होता है. प्लास्टर ऑफ पेरिस से प्रतिमाएं बनाना जितना आसान होता है. उससे कहीं ज्यादा पर्यावरण के लिए नुकसानदायक. पीओपी से बनी प्रतिमाओं को पानी में घुलने में कई महीने लग जाते हैं. इतना ही नहीं पीओपी में जिप्सम, सल्फर, फास्फोरस, मैग्नीशियम जैसे तत्व होते हैं, जो नदी या सरोवर में रह रही मछलियों व अन्य जीवों के लिए खतरनाक होता है.

पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ता है असर
प्रतिमाओं का निर्माण यदि नष्ट होने वाले पदार्थों से होता, तो इन प्रतिमाओं के विसर्जन से पानी की गुणवत्ता पर खासा असर नहीं पड़ता, लेकिन यह कई साल पहले होता था. अब प्रतिमाओं के निर्माण में प्लास्टर ऑफ पेरिस, प्लास्टिक, सीमेंट, सिन्थेटिक विविध रंग, थर्मोकोल, लोहे की छड़, घास-फूस, पुआल, क्ले इत्यादि का उपयोग होता है. रंग-बिरंगे पेंटों में नुकसान करने वाले काफी घातक रसायन मिले होते हैं. इसलिये जब प्रतिमाओं का विसर्जन होता है तो प्लास्टर ऑफ पेरिस और पेंट के खतरानाक रसायन पानी में घुल जाते हैं, जिससे पानी जहरीला हो जाता है. उसका असर जलीय वनस्पतियों, जीव-जन्तुओं के अलावा मनुष्यों की सेहत पर भी पड़ता है.

जागरूकता है जरूरी
प्रतिमाएं बनाते समय तमाम तरह के रंग और केमिकल का प्रयोग होता है. ये केमिकल विषैले होने के करण जल को प्रदूषित करते हैं, जिसका असर पानी में रहने वाले जलीय जीव-जंतुओं पर पड़ता है और साथ ही पूरे पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ता है. कई सालों से मूर्तिकारों को जागरूक किया जा रहा है कि मूर्तियों के निर्माण के लिए चिकनी मिट्टी का ही प्रयोग करें. प्लास्टर ऑफ पेरिस का प्रयोग न करें और मूर्तियों को गड्ढों में विसर्जित किया जाए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details