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Shardiya Navratri 2022: जाने कैसे करें नवरात्रि में कलश स्थापना? शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

26 सितंबर में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है. नवरात्रि में कलश स्थापना का काफी महत्व है. ऐसे में कलश स्थापना का क्या शुभ मुहूर्त है और इसको लेकर क्या तैयारी करनी चाहिए, इसके लिए क्या सामग्री चाहिए. आइये जानते हैं...

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Published : Sep 25, 2022, 9:31 PM IST

Updated : Sep 25, 2022, 11:09 PM IST

चंडीगढ़: शारदीय नवरात्र अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 26 सितंबर सोमवार से प्रारंभ होकर 4 अक्टूबर महानवमी के दिन तक मनाई (Shardiya Navratri 2022) जाएगी. इस वर्ष मां देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. हाथी सौभाग्य ऐश्वर्या धन संपन्नता साहस और शौर्य के पराक्रम का प्रतीक है. कलश स्थापना (Shardiya Navratri Kalash Sthapana Time) और चौकी स्थापना का शुभ और अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:36 से लेकर दोपहर 12:24 तक रहेगा.

इसके साथ ही सुबह 6:11 बजे से लेकर सुबह 9:30 तक चौकी स्थापना और कलश स्थापना किया जा सकता (Abhijeet Muhurt of Kalash Sthapana) है. माता महिषासुरमर्दिनी हाथी पर सवार होने की वजह से यह नवरात्रि बलशाली शौर्यशाली और साहस का प्रतीक है. सभी भक्तजनों को देवी से गुणों की मंगल कामना करनी चाहिए.

कलश स्थापना की सामग्री: मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है, इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदना चाहिए. कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.

नवरात्र के 9 दिनों में माता के इन रूपों की होगी पूजा: प्रथम दिवस माता शैलपुत्री के रूप में विराजमान रहेंगी. दूसरे दिन मां दुर्गा की ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाएगी तीसरे दिन माता दुर्गा की चंद्रघंटा के रूप में पूजा की जाएगी चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की (Shardiya Navratri dates 2022) जाएगी. पांचवी शुभ दिन में स्कंदमाता के रूप में पूजा होगी. छठवें दिन में माता दुर्गा की कात्यायनी रुप की पूजा होगी. सातवें दिन माता के कालरात्रि रूप की पूजा होगी. आठवें दिन हवन और अग्निहोत्र के साथ देवी के महागौरी रूप की पूजा होगी. पश्चिम बंगाल समेत देश के पूर्वोत्तर राज्यों में महा अष्टमी को विशेष पूजन किया जाता है.

शारदीय नवरात्रि तिथि 2022

महानवमी या सरस्वती बलिदान का पर्व 4 अक्टूबर को: इसे दुर्गा अष्टमी महा अष्टमी सरस्वती पूजन के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन शस्त्रों की भी पूजा की जाती है महिषासुर मर्दिनी के रूप में देवी ने महिषासुर नामक राक्षस का सर्वनाश और विध्वंस किया था और अपने भक्तों की रक्षा की थी इसी तरह राम और रावण की युद्ध के समय अष्टमी के दिन रामचंद्र जी द्वारा पूजन किए जाने पर रावण के वध का मार्ग प्रशस्त्र हुआ था. इस वर्ष महानवमी या सरस्वती बलिदान का पर्व 4 अक्टूबर मंगलवार को मनाया जाएगा. महा नवमी के दिन माता दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा भक्तगण करते हैं.

नवरात्रि में कई शुभ संयोग पड़ रहे हैं: इस वर्ष नवरात्रि 9 दिनों की मनाई जाएगी. इस नवरात्रि में शुभ गजकेसरी योग शश योग शुक्र के द्वारा नीच भंग राज्यों का निर्माण हो रहा है. प्रथम दिवस हस्त नक्षत्र शुक्ल योग बवकरण योग वज्र योग का सुंदर प्रभाव देखने को मिल रहा (Navratri Puja Vidhi ) है. आज के दिन आज के दिन को अग्रसेन जयंती के रूप में भी मनाते हैं. इस नवरात्र में सर्वार्थ सिद्धि योग रवि योग हस्त नक्षत्र चित्र स्वाति विशाखा अनुराधा जैसे मूल उत्तरा पूर्वाषाढ़ा सभी नक्षत्रों का सुंदर संयोग देखने को मिल रहा है. यह संपूर्ण नवरात्रि अश्विन शुक्ल पक्ष शारदीय नवरात्र के रूप में जानी जाती है. घट स्थापन से प्रारंभ होकर महानवमी तक जोत जलाने की परंपरा है.नवरात्रि में इन बातों का रखें ख्याल: 26 सितंबर को सुबह अभिजीत मुहूर्त की बेला में घर में देवी की चौकी की स्थापना की जा सकती (Shardiya Navratri 2022) है. जो भक्तगण घरों में दीपक जलाते हैं. उनको यह ध्यान रखना होगा कि दीपक अखंड रूप से जलता रहे देवी की चौकी को नियमित साफ-सफाई पूजन और जल के माध्यम से शुद्ध स्नान कराना बहुत ही आवश्यक है. जगह-जगह नवरात्रि के समय में दुर्गा की स्थापना की जाती है. उनके लिए भी यह आवश्यक है कि निर्धारित समय में सुबह और शाम देवी की पूजा आराधना अनुष्ठान आरती और प्रसाद वितरण का काम पूर्ण अनुशासन से करें .जिससे कि देवी की कृपा सभी भक्तजनों पर बराबर बनी रहे इन 9 दिनों में व्रत अनुष्ठान दान धार्मिक यात्रा शुभ कार्य प्रारंभ करना सभी सिद्ध होते हैं.

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Last Updated : Sep 25, 2022, 11:09 PM IST

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