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विपक्ष के द्वारा लगाया गया आरोप निकला सही! 90 करोड़ का निकला धान घोटाला

हरियाणा में विपक्ष जिस मुद्दे को लेकर बार-बार सरकार को टारगेट करने की कोशिश कर रहा था वह मुद्दा एक बार फिर विपक्ष के हाथ लग सकता है. धान खरीद की फिजिकल वेरिफिकेशन हो गई है जिसमें सरकार ने खुद माना है कि घोटाला हुआ है.

paddy crop scam haryana
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Published : Jan 8, 2020, 8:04 PM IST

चंडीगढ़: इनेलो नेता अभय चौटाला और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा के विशेष सत्र में भी इस मुद्दे को उठाया था. जिसके बाद दोनों नेताओं ने मंडियों का दौरा कर बड़े घोटाले का आरोप लगाया था. वहीं सरकार बार-बार कोई घोटाला ना होने की बात कर रही थी और विपक्ष बार-बार मामले की जांच की मांग पर अड़ा था. अब धान खरीद की फिजिकल वेरिफिकेशन हो गई है जिसमें सरकार ने खुद माना है कि घोटाला हुआ है.

हरियाणा में कथित धान के घोटाले की जांच पूरी हो गई है. जांच में करीबन 90 करोड़ का घोटाला सामने आया है. इस संबंध में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने जिम्मेदार राइस मिलर्स को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. चंडीगढ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने यह जानकारी दी.

हरियाणा में विपक्ष के द्वारा लगाया गया आरोप निकला सही, 90 करोड़ का निकला धान घोटाला.

पीके दास ने बताया कि जांच के दौरान हरियाणा की 1304 मिलों के धान स्टाक की जांच की गई थी जिसमें से 42590 मेट्रिक टन धान की कमी मिली है. इन सभी राइस मिलर्स के खिलाफ सरकार को कार्रवाई के लिए लिख दिया गया है. मंजूरी मिलने के बाद इन पर कार्रवाई की जाएगी. राइस मिलर्स से स्टॉक कमी से लेकर स्टॉक को मिल्स तक भेजने के लिए हुए खर्च की ब्याज के साथ वसूली की जाएगी.

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अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि विभाग के पास राइस मिलर्स के खिलाफ तीन तरह की कार्रवाई करने के अधिकार हैं. जिनमें सरकारी धन की ब्याज के तहत वापसी, दूसरा जिम्मेदार राइस मिलर्स को ब्लैक लिस्ट करने का अधिकार और सरकार के पैसे का गलत तरीके से दुरुपयोग करने के लिए धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज करने का अधिकार है.

पीके दास ने बताया कि भविष्य में विभाग इस तरह के मामलों को रोकने के लिए कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं जिसमें धान के स्टाफ को विभाग के ही वाहन में लादकर राइस मिलर्स तक पहुंचाया जाएगा. इस दौरान स्टॉक की तुलाई से लेकर सभी तरह की कार्रवाई की वीडियो रिकार्डिंग भी की जाएगी. इसके अलावा विभाग सरकार की जरूरतों के हिसाब से महीने बार धान का स्टाक मिल्स तक भेजने पर भी विचार कर रहा है.

फिजिकल वेरीफिकेशन के दौरान सबसे ज्यादा स्टाफ की कमी मुख्यमंत्री के गृह जिले करनाल में मिल गया जहां पर 13163 मेट्रिक टन धान कम मिला है. इसके बाद कुरुक्षेत्र जिले का नंबर आता है जहां पर 10768 मेट्रिक टन धान कम मिला है. अंबाला की 284 जिलों में 9403 मेट्रिक टन, फतेहाबाद की 168 मिलों में 2241 मैट्रिक टन और कैथल की 115 मिलों में 1414 टन धान की कमी दर्ज की गई है. उन्होंने बताया कि सरकार ने प्रदेश को 1314 मिलों की जांच के लिए 300 टीमें गठित की थी. इस दौरान 1207 मिलो के स्टॉक में कमी पाई गई है.

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तो लगे हाथ सरकार के खिलाफ एक बार फिर विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल गया है. अब देखना होगा कि इस गड़बड़ झाले के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सरकार करती है ताकि विपक्ष इस मुद्दे को भुला ना पाए और सरकार की कार्यशैली पर कोई सवालिया निशान ना खड़ा हो सके.

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