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हरियाणा में लंबा रहेगा इस बार मॉनसून, जमकर बरसेंगे बादल

मौसम विभाग के मुताबिक हरियाणा समेत देशभर में इस बार माॅनसून सामान्य रहेगा. राजधानी चंडीगढ़ में पहले माॅनसून औसतन एक जुलाई को आता रहा है, लेकिन अब यह पांच दिन पहले 26 जून को आएगा.

aryana weather update
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Published : Apr 16, 2020, 11:15 AM IST

चंडीगढ़: पहले मॉनसून की विदाई औसतन 22 सितंबर को होती थी, अब भी इसी तारीख को संभावित है. हरियाणा में माॅनसून भी अमूमन चंडीगढ़ के साथ ही आता है. पिछले 10 साल में छह बार ऐसी स्थिति रही है कि माॅनसून हरियाणा में जुलाई में ही आया है, जबकि चार बार जून में आया है.

मौसम विभाग के महानिदेशक एम महापात्रा ने बताया कि माॅनसून केरल के तट से एक जून को टकराएगा, जबकि पिछले साल यह 8 दिन की देरी से पहुंचा था. उन्होंने बताया कि प्रशांत महासागर में अलनीनो की स्थिति और हिंद महासागर में डायपोल (सामुद्रिक स्थिति) की स्थिति न्यूट्रल है. उम्मीद यह है कि दोनों स्थितियां माॅनसून के दौरान भी न्यूट्रल रहेंगी. भारत में जून से सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिम माॅनसून से बारिश होती है.. यह लगातार दूसरा साल है, जब सामान्य बारिश की संभावना जताई गई है.

हरियाणा में जून से सितंबर के बीच सामान्यत: 400 एमएम होती है बारिश

हरियाणा में जून-सितंबर के बीच सामान्यत: 400 एमएम बरसात होती है. आईएमडी ने अनुमान लगाया है कि अबकी बार सामान्य रह सकता है. हालांकि वर्ष 2020 के 105 दिनों में ही खूब बरसात हो चुकी है. अकेले मार्च में 70 एमएम बरसात हुई है, जो कि आज तक का रिकाॅर्ड है. एक मार्च से 15 अप्रैल तक प्रदेश में सामान्य से करीब 70 एमएम अधिक बरसात हुई है, जो सामान्य से करीब 336 एमएम अधिक है.

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अच्छी बारिश से फसल को होगा लाभ

खरीफ में हरियाणा में करीब 32 लाख हेक्टेयर में फसलों की बिजाई होती है. इनमें सबसे बड़ी फसल करीब 14 लाख हेक्टेयर में धान होती है, इसी में पानी की सर्वाधित खपत होती है। इसके अलावा ज्वार, मक्की, बाजरा, ग्वार सहित अन्य फसलें भी होती हैं.

9 वर्षों में माॅनसून की बारिश

वर्ष बारिश आया मॉनसून
2011 373.9 25 जून
2012 272.8 6 जुलाई
2013 356.8 16 जून
2014 200.1 1 जुलाई
2015 287.7 25 जून
2016 336.8 2 जुलाई
2017 341.9 3 जुलाई
2018 401 28 जून
2019 255 4 जुलाई

(बारिश एमएम में)

28 साल में 11 बार ही सामान्य बारिश

1990 के बाद 11 बार ही ऐसी स्थिति बनी है जब सामान्य या सामान्य से अधिक बरसात हुई है. 17 बार सामान्य से कम बरसात हुई है. वर्ष 1995 में प्रदेश में सामान्य से 83 फीसदी अधिक बरसात हुई थी, तब बाढ़ की स्थिति बनी थी. इसके बाद वर्ष 1998 में सामान्य से 39.6 एमएम व वर्ष 2010 में सामान्य से 21%अधिक बरसात हुई थी.

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