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अग्रिम जमानत हर किसी को ना दी जाए, केवल असाधारण परिस्थितियों में दी जानी चाहिए- HC - अग्रिम जमानत याचिका कमेंट हाई कोर्ट

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की है कि अग्रिम जमानत का उद्देश्य निर्दोष व्यक्तियों को उत्पीड़न और असुविधा से बचाना है और यह केवल असाधारण परिस्थितियों में दी जानी चाहिए, लेकिन आजकल अग्रिम जमानत नियमित रूप से दी जाने लगी है. ऐसा कर दूसरों को ढाल मिल रही है.

haryana high court on anticipatory bail
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Published : Jul 14, 2020, 7:29 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस एचएस मदान ने फरीदाबाद निवासी गगन इंदर सिंह की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याची के खिलाफ एनआईटी फरीदाबाद में एक प्रसिद्ध सैलून की मालकिन को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप है, जिसके तहत उस पर मुकदमा दर्ज किया गया. बता दें कि, सैलून मालकिन ने 15 जून को फरीदाबाद में बीपीटीपी पुल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी.

बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर है, जिसने युवा महिला को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया. प्रभावी जांच के लिए उसकी हिरासत में पूछताछ आवश्यक है. ऐसे मामले में अग्रिम जमानत देना जांच एजेंसी को सही जांच से वंचित करना है, जो जांच पर प्रतिकूल असर डाल सकता है. इस मामले में फरीदाबाद पुलिस द्वारा सेक्टर-8 की एक 63 वर्षीय महिला की शिकायत पर आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

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शिकायत के अनुसार उनकी 39 वर्षीय बेटी अविवाहित थी और वह एनआईटी फरीदाबाद के पास ब्यूटी पार्लर चला रही थी. शिकायत के अनुसार लड़की का आरोपी के साथ संबंध था और वो अक्सर उससे मिलती थी. 15 जून को मुझे बेटी के दोस्त द्वारा सूचित किया गया कि वो आत्महत्या करने जा रही है, जब तक महिला बीपीटीपी पुल पर पहुंची तब तक मेरी बेटी पुल से कूद चुकी थी और मर गई.

पुलिस को दिए अपने बयान में शिकायतकर्ता ने ये भी कहा कि उसकी बेटी ने अपने दोस्त के नंबर पर एक संदेश भेजा था कि उसे आरोपी ने उसे धोखा दिया था. आरोपी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पहले फरीदाबाद की स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन 29 जून को उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. इसलिए याची ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की मांग को लेकर याचिका दायर की थी जिसे हाई कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है.

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