चंडीगढ़: हरियाणा में धान उगाने पर किसान और सरकार आमने-सामने आ गए हैं. किसान जहां धान उगाने को लेकर अड़े हैं. तो वहीं सरकार किसानों को धान की बजाए दूसरी फसलों को उगाने के लिए कह रही है. लेकिन अब इस पर खूब सियासत भी हो रही है. कांग्रेस से लेकर इनेलो तक सबका किसानों को समर्थन भी मिल रहा है.
सुरजेवाला की सरकार को चुनौती
कांग्रेस प्रवक्ता और कैथल से पूर्व विधायक रणदीप सुरजेवाला ने धरना दे रहे किसानों का साथ दिया और खट्टर सरकार को घेरा. सुरजेवाला ने मनोहर लाल सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वे गुहला चीका क्षेत्र में आएं वो उन्हें गुहला चीका के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करवाएंगे. अगर वे इन क्षेत्रों में मक्का और दाल की फसलें उगाते हैं, तो वे अपनी राजनीति छोड़ देंगे.
धान पर सियासी जंग, किसान बोले- सरकार के साथ लठ उठाकर भी लड़ना पड़े तो हम लड़ेंगे योजना वापस ले सरकार-सैलजा
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने इस योजना को सरकार से वापस लेने की अपील की है. उन्होंने कहा कि भूजल संरक्षण के नाम पर राज्य सरकार किसानों के साथ विश्वासघात कर रही है. सरकार किसानों को धान की फसल उगाने से रोक रही है. जिस कारण किसान सड़कों पर आने को मजबूर हो गया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपील करती है कि सरकार इस योजना को वापस ले.
एसवाईएल हरियाणा की विरासत- अभय
इनेलो नेता अभय चौटाला ने तो खट्टर सरकार की नीयत पर ही सवाल उठा दिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार को पानी की इतनी ही चिंता है तो एसवाईएल का पानी हरियाणा में लेकर आए और दादूपुर नलवी नहर को दोबारा शुरू करे. उन्होंने कहा कि सरकार को नहीं पता कि हरियाणा की विरासत एसवाईएल है. उन्होंने कहा कि वो कुरुक्षेत्र में ठेके पर जमीन लेकर धान की खेती करेंगे.
क्या है योजना?
सरकार ने गिरते जलस्तर को देखते हुए मेरा पानी मेरी विरासत योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत डार्क जोन यानि जहां 40 मीटर से ज्यादा पानी की गहराई है. वहां किसानों को धान की जगह दूसरी फसलें उगाने के लिए कहा है. जिसके लिए सरकार किसानों को प्रोत्साहन राशि भी देगी.
सरकार के मुताबिक प्रदेश में 36 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां 12 सालों में भू-जल स्तर में पानी की गिरावट दोगुनी हुई है. 40 मीटर से ज्यादा गहराई वाले 19 ब्लॉक हैं, 11 ब्लॉक ऐसे हैं, जिसमें धान की फसल नहीं होती. 8 ब्लॉक रतिया, सीवान, गुहला, पीपली, शाहबाद, बबैन, ईस्माइलाबाद और सिरसा ऐसे हैं. जहां भूजल स्तर की गहराई 40 मीटर से ज्यादा है और वहां धान की बिजाई होती है, ऐसे ही क्षेत्रों को इस योजना में शामिल किया गया है.
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