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बरोदा उपचुनाव को लेकर हरियाणा में राजनीति तेज, देखिए क्या बन रहे हैं समीकरण - बरोदा उपचुनाव राजनीति हरियाणा

हरियाणा में बरोदा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर चुनावी रंग में रंगने लगी है. बता दें कि, बरोदा सीट पर 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार कृष्ण हुड्डा ने जीत दर्ज की थी. अप्रैल 2020 में विधायक कृष्ण हुड्डा के निधन के बाद ये सीट खाली हो गई थी और नियमों के अनुसार रिक्त हुई विधानसभा सीट पर 6 माह के भीतर चुनाव करवाना होता है.

Baroda bypoll political scenario
Baroda bypoll political scenario

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Published : Jun 8, 2020, 6:25 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में कोरोना महामारी को लेकर इस वक्त सरकार और विपक्ष आमने-सामने है, लेकिन अंदर ही अंदर एक और चाल है जो सियासी बिसात पर चली जा रही है क्योंकि बरोदा सीट पर उपचुनाव होना है. ये सीट 2019 में कांग्रेस के पास थी जिसे जीतने के लिए कांग्रेस भरसक प्रयास करेगी. उधर सत्तारूढ़ बीजेपी अपने लिए इसे सुनहरा मौका मान रही है क्योंकि उनकी सरकार पर भले ही इस सीट से कोई असर न पड़ रहा हो लेकिन बरोदा में कभी न जीत पाने की टीस बीजेपी को है और वो ये टीस जेजेपी के सहारे मिटाने की पूरी कोशिश करेगी.

सीएम खट्टर ने नहीं खोले पत्ते

हालांकि सरकार बनाने के लिए साथ आई जजपा और भाजपा की तरफ से इस चुनाव को किस तरह से लड़ा जाता है इस पर भी सभी की नजर रहेगी. मुख्यमंत्री खट्टर ने विधायक की मौत के बाद होने वाले इस उपचुनाव पर दुख जताया. वहीं उन्होंने उपचुनाव में जीत का दावा तो किया लेकिन चुनावी रणनीति को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले. उन्होंने कहा कि बरोदा का उपचुनाव दुखद स्थिति के बीच आया है, जहां एक विधायक के निधन के चलते सीट खाली हुई है. यहां कब तक चुनाव होगा ये तय नहीं है. सीएम ने कहा कि चुनाव आया है तो राजनीतिक पार्टी के तौर पर हमें लड़ना होगा और लड़कर जीतना भी होगा और इसकी रणनीति क्या होगी ये बताई नहीं जा सकती.

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इनेलो खोई हुई साख वापस लाने की करेगी कोशिश

वहीं 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में महज 1 सीट पर सिमट जाने वाली इनेलो भी बरोदा के सहारे अपनी खोई साख को वापस पाने की कोशिश करेगी क्योंकि जो इनेलो ने 2019 में गंवाया है उसे पाने में भले ही वक्त लगे, लेकिन बरोदा उपचुनाव में अगर उनकी पार्टी अच्छा करती है तो कार्यकर्ताओं के लिए ये संजीवनी से कम नहीं होगा. इस पर इनेलो विधायक अभय चौटाला का कहना है कि हमारी पार्टी के जिन लोगों को बरगलाया था, इमोशनल कर लिया गया था अब वो समझ गए हैं कि उनके साथ धोखा हुआ है और अब वो वापस आ रहे हैं. लोगों ने मन बनाया है कि अपनी पुरानी पार्टी को मजबूत करेंगे. अभय ने कहा कि बरोदा चुनाव में आईएनएलडी अपना उम्मीदवार उतारेगी और मजबूती के साथ लड़ेगी.

यहां कांग्रेस को हराना नहीं आसान

बीजेपी और इनेलो भले ही ताल ठोक रही हो लेकिन ये सीट कांग्रेस के पास थी और 2019 में कृष्ण हुड्डा ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे स्टार रेसलर योगेश्वर दत्त को मात दी थी जो दिखाता है कि कांग्रेस इस सीट पर कितनी मजबूत है. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार गठबंधन में सरकार होने के चलते जेजेपी और बीजेपी से अलग-अलग उम्मीदवार उतारने की उम्मीद नहीं की जा सकती. आईएनएलडी का वोट शेयर भी है मगर अलग-अलग उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने के चलते त्रिकोणीय मुकाबला होने पर कांग्रेस फायदा ले सकती है.

ये सच है कि कांग्रेस ने बरोदा सीट पर चुनाव जीता था लेकिन अब बीजेपी के साथ जेजेपी है और संभवतः दोनों मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो क्या समीकरण बनेंगे ये कहना फिलहाल मुश्किल है. अब देखना ये होगा कि राजनीतिक दल इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए किन लोगों पर दाव लगाते हैं.

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