चंडीगढ़:कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई (Kuldeep Bishnoi) और मुख्यमंत्री मनोहर लाल (CM Manohar Lal Khattar) की गुरुग्राम में हुई मुलाकात अब हरियाणा की सियासत में चर्चा का विषय बनी हुई है. मुलाकात के सियासी गलियारों में कई मायने भी लगाए जा रहे हैं. हालांकि इस मुलाकात को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल कह चुके हैं कि कुलदीप बिश्नोई उनके पुराने मित्र हैं इसलिए इस तरह की मुलाकात होती रहती (kuldeep and cm manohar meeting) है, लेकिन इस सबके बीच जून महीने में हरियाणा में दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने है, तो ऐसे में जहां एक सीट पर बीजेपी- जेजेपी की जीत पक्की है. वहीं दूसरी सीट पर अगर बीजेपी- जेजेपी ने उम्मीदवार उतारा तो हर वोट बेशकीमती हो जायेगा.
क्या करना चाह रहे हैं कुलदीप बिश्नोई?:दरअसल कुलदीप बिश्नोई हरियाणा कांग्रेस के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद से ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं. वहीं कुलदीप बिश्नोई जिस अंदाज में अपनी राजनीति कर रहे हैं, उसे देखते हुए राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम हो चली है कि वे हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी छोड़कर किसी अन्य दल में भी शामिल हो जाएं. क्योंकि बीजेपी के नेता हो या फिर आम आदमी पार्टी के सभी उनको लेकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
क्या राज्यसभा चुनाव है इस राजनीति की वजह?:इस सबके बीच हरियाणा में अगले महीने दो राज्यसभा सीटों के चुनाव हैं. जिसमें से एक सीट पर आंकड़ों की बाजीगरी से कोई भी किसी पर भारी पड़ सकता है. 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा की वर्तमान स्थिति को देखें तो बीजेपी के पास 40 विधायक हैं, जेजेपी के पास 10 विधायक, 31 विधायक कांग्रेस पार्टी के और सात निर्दलीय विधायकों के साथ ही एक इनेलो एक हरियाणा लोकहित पार्टी का विधायक है.
एक तरफ जहां फर्स्ट प्रेफरेंस के आधार पर बीजेपी-जेजेपी के एक राज्यसभा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित है, तो दूसरी सीट के लिए कांग्रेस का उम्मीदवार अपनी जीत दर्ज करवा सकता है. लेकिन जीत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए कांग्रेस के लिए एक-एक विधायक का वोट बहुत कीमती है. ऐसे में कुलदीप बिश्नोई की बीजेपी से बढ़ती नजदीकियां कांग्रेस के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकती है.
क्या है कुलदीप बिश्नोई और सीएम की मुलाकात के मायने?मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कुलदीप बिश्नोई की मुलाकात के क्या मायने हैं ? साथ ही क्या दो राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव से भी जोड़कर इसे देखा जा सकता है ? क्या इसका कांग्रेस के उम्मीदवार की दावेदारी पर भी असर पड़ सकता है ? इन सभी सवालों के जवाबों में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सुरेंद्र धीमान (Political analyst Dr Surendra Dhiman) कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं राज्यसभा चुनाव को देखते हुए यह मुलाकात अहम है.
इस मुलाकात को कैसे देखते हैं राजनीतिक विश्लेषक:डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि इसके दो राजनीतिक मायने हो सकते हैं एक तो कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस पर दबाव बनाना चाहते हैं. क्योंकि वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे. उनको प्रदेश अध्यक्ष ना बनाकर, पूर्व विधायक उदयभान को यह जिम्मेदारी दी गई. जिसके बाद से बिश्नोई पार्टी से नाराज हुए बैठे हैं. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि हो सकता है वह कांग्रेस पर दबाव बनाकर कोई पद पार्टी के अंदर लेना चाह रहे हों और इसके लिए भी इस तरह की राजनीति कर रहे हों.
मुलाकात का राज्यसभा चुनाव पर असर पड़ना तय:डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि जून में राज्यसभा के चुनाव होने वाले हैं. पार्टी छोड़ने से पहले हो सकता है कि वे पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हों. वे कुछ इस तरह पार्टी पर दबाव बना सकते हैं कि, या तो वे राज्यसभा सीट के मतदान के दिन एब्सेंट रहें या फिर कांग्रेस के उम्मीदवार के खिलाफ वोट दें. कुल मिलाकर बिश्नोई राज्यसभा चुनाव के समीकरण पर असर डाल सकते हैं.