हरियाणा

haryana

जींद में शुरू हुए बायोगैस पावर प्लांट से होगा 85 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन, प्रदूषण भी होगा कम

By

Published : May 22, 2020, 12:46 PM IST

हरियाणा के बिजली मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने बताया कि जींद में लगाए गए बायोगैस आधारित पावर प्लांट से हर साल 85 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाएगा और साथ ही प्रदूषण भी कम हो जाएगा.

haryana
ranjeet chautala

चंडीगढ़: जींद के गांव मोरखी में लगभग 14 करोड़ रुपये की लागत से राज्य का पहला ग्रिड से जुड़ा 1.2 मेगावाट क्षमता का बायोगैस आधारित पावर प्लांट चालू किया गया है. इस प्लांट में 85 लाख यूनिट वार्षिक बिजली का उत्पादन होगा. बिजली मंत्री रंजीत सिंह ने बताया कि प्लांट की स्थापना मैसर्ज मोर बायो एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा की गई है. इसमें उत्पन्न होने वाली समस्त बिजली की खरीद हरियाणा बिजली नियामक आयोग द्वारा तय की जाने वाली दर पर हरियाणा बिजली खरीद केंद्र द्वारा की जाएगी.

180 टन जैविक कचरे की प्रतिदिन होगी खपत

बिजली मंत्री ने कहा कि बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग की संयुक्त टीम द्वारा गांव मोरखी में स्थापित इस बायोगैस आधारित पावर प्लांट का 80 प्रतिशत क्षमता के साथ 11 से 15 मार्च, 2020 तक तीन दिवसीय ट्रायल किया गया. इस प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए मुख्य रूप से पोल्ट्री के कचरे और गोबर का इस्तेमाल किया जाएगा. इसमें लगभग 180 टन प्रतिदिन जैविक कचरे की खपत होगी और बिजली के अलावा लगभग 15 टन प्रतिदिन जैविक उर्वरक का उत्पादन होगा.

प्रदूषण कम करने में मिलेगी मदद

उन्होंने कहा कि इस प्लांट के में नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होगी, जिसका उपयोग फसलों के लिए जैविक उर्वरक के रूप में किया जा सकेगा. इसके अतिरिक्त, इस परियोजना से पर्यावरण में मीथेन गैस का रिसाव नहीं होगा और राज्य में पोल्ट्री फार्मों के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी.

ये भी पढ़ें-गरीबों को भोजन और घर उपलब्ध कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी: HC

वहीं मैसर्ज मोर बायो एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारी राजकुमार ने बताया कि क्षेत्र में स्थापित अपने पोल्ट्री फार्मों के कचरे से उत्पन्न प्रदूषण एवं स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करने और पोल्ट्री कचरे का सदुपयोग करने के लिए उन्होंने इस परियोजना की स्थापना के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग से संपर्क किया था. इस प्लांट के लिए उन्होंने सीएसटीआर तकनीक को अपनाया है और बायोगैस उत्पन्न करने के लिए 14500 क्यूबिक क्षमता के डाइजेस्टरों का निर्माण किया गया है.

लगभग 14 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित इस प्लांट के लिए लगभग 50 प्रतिशत फीड सामग्री इन-हाउस उत्पन्न हो रही है और बाकी सामग्री की खरीद आसपास के पोल्ट्री और डेयरी फार्मों से की जा रही है. उन्होंने कहा कि प्लांट में उत्पन्न जैविक उर्वरक की आपूर्ति आस-पास के किसानों और मशरूम उत्पादकों को की जा रही है. इस परियोजना ने आसपास के क्षेत्रों में पोल्ट्री फार्मों के कारण उत्पन्न प्रदूषण की समस्या को काफी हद तक कम कर दिया है.

ये भी पढ़ें-चंडीगढ़ में कोरोना के दो नए मामले आए सामने, 42 मरीज हुए ठीक

ABOUT THE AUTHOR

...view details