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पैदल जा रहे प्रवासी श्रमिकों को रोककर राहत शिविर में रखा जाए, मुख्य सचिव ने दिए निर्देश - हरियाणा प्रवासी मजदूर राहत कैंप में

हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनन्द अरोड़ा ने कहा कि लॉकडाउन-4 के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशानुसार जिला उपायुक्त यह सुनिश्चित करें कि कोई भी प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्यों में पैदल न जाए, ऐसे सभी प्रवासी मजदूरों की काउंसलिंग की जाए और उनके जाने की व्यवस्था होने तक उन्हें राहत शिविरों में रखा जाए.

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Published : May 21, 2020, 9:07 AM IST

Updated : May 23, 2020, 9:00 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की ओर से पैदल ही अपने घरों की ओर जा रहे प्रवासी श्रमिकों को रोककर काउंसलिंग कर राहत शिविरों में रखे जाने के निर्देश दिए गए हैं. मुख्यसचिव केशनी आनन्द अरोड़ा ने बुधवार को जिला उपायुक्तों और कोविड-19 के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक ली जिसमें सभी ये निर्देश दिए गए हैं.

मजदूरों को रोककर राहत शिविर में रखा जाए

हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनन्द अरोड़ा ने कहा कि जब तक संबंधित जिला प्रशासन द्वारा प्रवासियों की उनके गृह राज्यों में जाने की व्यवस्था नहीं की जाती है, तब तक उन्हें राहत शिविर में रखा जाए. मजदूरों को पैदल उनके घर ना जाने दिया जाए. मुख्य सचिव ने कंटेंनमेंट जोन की निगरानी के बारे में संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि अब कन्टेनमेंट जोन में जोन कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और चिकित्सालय प्रबंधन को प्राथमिकता दी जाए.

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उन्होंने कहा कि कंटेंनमेंट जोन की सही परिभाषा को समझने और लागू करने के उद्देश्य से, मंडल और राज्य स्तरीय समितियों का गठन किया जाएगा ताकि गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए सभी दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन समयबद्ध तरीके से हो. उन्होंने कहा कि नगर निगमों, सरपंचों और मेयरों को कंटेंनमेंट जोन पर कड़ी नजर रखने में बड़ी भूमिका निभानी होगी.

हरियाणा आने वाले हर व्यक्ति की हो जांच

मुख्य सचिव ने यह भी निर्देश दिए कि विदेशों से आने वाले और हरियाणा में प्रवेश करने वाले सभी लोगों का परीक्षण सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए और केवल परीक्षण के बाद ही इन लोगों को उनके संबंधित गंतव्य तक भेजा जाना चाहिए. इसके अलावा, जो यात्री बसों में वापस आ रहे हैं, उनकी स्क्रीनिंग भी व्यवस्थित तरीके से की जानी चाहिए. इनसिडेंट कमांडर के नेतृत्व में टीमों का गठन किया जाए ताकि राज्य में खुले प्रतिष्ठानों द्वारा मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन किया जाना सुनिश्चित किया जा सके.

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टीबी रोगियों, छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और विशेष रूप से कोविड संक्रमण की चपेट में आने की अधिक संभावना वाले ग्रुप के मानसिक स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि टेली-मेडिसिन और ई-संजीवनी के माध्यम से सक्रियता के साथ इन सबसे सम्पर्क किया जाना चाहिए ताकि ऐसे लोगों को उनकी मनोवैज्ञानिक समस्याओं से निपटने में मदद मिल सके. सार्वजनिक संपर्क प्रणाली को मजबूत करने के साथ-साथ जागरूकता कैम्प्स की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए ताकि सभी लोग कन्टेनमेंट जोन के बारे में जागरूक हो सकें.

Last Updated : May 23, 2020, 9:00 PM IST

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