चंडीगढ़: हरियाणा के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जय प्रकाश दलाल ने कहा है कि पशुओं में लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) की रोकथाम के लिए 5 लाख गोट पॉक्स वैक्सीन का ऑर्डर (goat pox vaccine Ordered in Haryana) कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि पशुओं में तुरंत वैक्सीनेशन के लिए इस वैक्सीन को एयरलिफ्ट करके मंगाया जा रहा है ताकि पशुपालकों को किसी भी प्रकार का नुकसान ना हो. जेपी दलाल मंगलवार को हरियाणा विधानसभा में चल रहे मॉनसून सत्र में लगाए गए ध्यानाकर्षन प्रस्ताव का उत्तर दे रहे थे.
सरकार ने जारी की एडवायजरी- पशुपालन मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि विभाग हरियाणा में लंपी स्किन बीमारी (Lumpy skin disease in Haryana) की रोकथाम के लिए चिंतित हैं क्योंकि यह एक वायरल बीमारी है. इसके लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब व राजस्थान के मुकाबले हरियाणा में यह बीमारी कम फैली हुई है. इस बीमारी के संबंध में हमने एडवाईजरी जारी कर दी है कि पशुओं का आवागमन बंद हो, पशु मेला लगाना बंद हो, मच्छर-मक्खी की दवाइयों का छिड़काव हो. और अंतर्राज्यीय पशुओं के आवागमन को रोका जाए.
लंपी स्किन बीमारी कहां से आई- दलाल ने सदन में कहा कि लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) एक वायरल रोग है. यह वायरस पॉक्स परिवार का है. लंपी स्किन बीमारी मूल रूप से अफ्रीकी बीमारी है और अधिकांश अफ्रीकी देशों में है. माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत जाम्बिया देश में हुई थी, जहां से यह दक्षिण अफ्रीका में फैल गई. साल 2012 के बाद से यह तेजी से फैली है, हालांकि हाल ही में रिपोर्ट किए गए मामले मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व, यूरोप, रूस, कजाकिस्तान, बांग्लादेश (2019) चीन (2019), भूटान (2020), नेपाल (2020) और भारत (अगस्त, 2021) में पाए गए हैं. देश में प्रमुख प्रभावित राज्यों में गुजरात, राजस्थान और पंजाब हैं. हरियाणा राज्य में यह रोग अभी प्रारंभिक चरण में है और पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा इसके नियंत्रण और रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं.
लंपी स्किन बीमारी से गौवंश को खतरा-लंपी स्किन बीमारी मुख्य रूप से गौवंश को प्रभावित करती है. देसी गौवंश की तुलना में संकर नस्ल के गौवंश में लंपी स्किन बीमारी के कारण मृत्यु दर अधिक है. इस बीमारी से पशुओं में मृत्यु दर 1 से 5 प्रतिशत है. रोग के लक्षणों में बुखार, दूध में कमी, त्वचा पर गांठें, नाक और आंखों से स्राव आदि शामिल हैं. रोग के प्रसार का मुख्य कारण मच्छर, मक्खी और परजीवी जैसे जीव हैं. इसके अतिरिक्त, इस बीमारी का प्रसार संक्रमित पशु के नाक से स्राव, दूषित फीड और पानी से भी हो सकता है.
लंपी स्किन बीमारी के उपचार एवं रोकथाम- वायरल बीमारी होने के कारण प्रभावित पशुओं का इलाज केवल लक्षणों के आधार पर किया जाता है. बीमारी की शुरूआत में ही इलाज मिलने पर इस रोग से ग्रस्त पशु 2-3 दिन के अन्तराल में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है. किसानों को मक्खियों और मच्छरों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है, जो बीमारी फैलने का प्रमुख कारण है. प्रभावित जानवरों को अन्य जानवरों से अलग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. बछड़ों को संक्रमित मां का दूध उबालने के बाद बोतल के जरिए ही पिलाया जाना चाहिए.
इंसानों में नहीं फैलती लंपी स्किन बीमारी- जनस्वास्थ्य से संबंध- यह रोग गैर-जूनोटिक है. यानि यह पशुओं से इंसानों में नहीं फैलता है. इसलिए जानवरों की देखभाल करने वाले पशुपालकों के लिए डरने की कोई बात नहीं है. प्रभावित पशुओं के दूध को उबाल कर सेवन किया जा सकता है.