चंडीगढ़: प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव इसलिए भी खास हो गए हैं क्योंकि इस बार दावेदार भी बढ़ गए हैं. हरियाणा में चुनाव को लेकर लंच डिनर डिप्लोमेसी से लेकर नेता जिला अध्यक्षों में अपनों को शामिल करने से लेकर प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल होने के लिए काफी मशक्कत अपने स्तर पर कर रहे हैं.
जिला अध्यक्ष में अपनों को शामिल करने और दूसरों को दूर रखने के लिए भी कई तरह की कोशिशों के बीच हरियाणा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का यह चुनाव काफी अहम हो गया है. इस दौड़ में 2019 के विधानसभा चुनाव हारे कई कद्दावर नेता भी शामिल हैं जबकि दक्षिण हरियाणा में भी अलग तरह की कोशिशें देखने को मिल रही हैं.
बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष से लेकर जिला अध्यक्ष तक के लिए लॉबिंग तेज, जानिए कितने नेता हैं अध्यक्ष की दौड़ में शामिल. हालांकि हरियाणा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का यह चुनाव जाट, नॉन-जाट और बीजेपी आलाकमान का आशीर्वाद समेत हरियाणा के मुख्यमंत्री की पसंद समेत कई अहम पहलुओं पर निर्भर रहने वाला है. फिलहाल अध्यक्ष पद के लिए दौड़ शुरू हो चुकी है जिसके परिणाम कुछ भी रहें मगर दौड़ में खुद को शामिल रखने की नेताओं की दिलचस्पी इस चुनाव को अहम बना रही है और दावेदारों की लिस्ट काफी लंबी होती जा रही है.
दक्षिण हरियाणा की पहले बात करें तो चर्चाओं के अनुसार केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा सांसद राव इंद्रजीत सिंह कई जिलों में अपने लोगों को अध्यक्ष बनाने के लिए भाजपा आलाकमान को नाम भेज चुके हैं जबकि राव इंद्रजीत के दूसरी तरफ भाजपा नेताओं की डिनर और लंच डिप्लोमेसी भी देखने को मिली जिसमें कई नेता गीले सिखवे मिटाकर साथ नजर आए.
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राव इंद्रजीत के खिलाफ एकजुट हुए पूर्व मंत्री राव नरबीर, पूर्व मंत्री विक्रम ठेकेदार, पूर्व सांसद डॉ सुधा यादव, पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव, पटौदी के मौजूदा विधायक सत्यप्रकाश जरावता, पूर्व मंत्री जगदीश यादव, पूर्व विधायक तेजपाल तंवर, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ अरविंद यादव, डेयरी परिषद के चेयरमैन जीएल शर्मा एवं नए साल के बहाने संतोष यादव के घर इकट्ठा हुए थे. माना जा रहा है कि राव इंद्रजीत जहां चार जिलों के अध्यक्षों के लिए पैनल सौंप चुके हैं वहीं राव के विरोधी गुट जिला अध्यक्ष को नियुक्त करवाने के लिए भाजपा संगठन में दबाव बना सकता है.
दक्षिण हरियाणा से डॉ सुधा यादव, वीर कुमार यादव, संदीप जोशी, विपुल गोयल, दीपक मंगला, रामबिलास शर्मा का नाम दौड़ में शामिल है. गौरतलब है कि दक्षिण हरियाणा ओम प्रकाश ग्रोवर, रमेश जोशी दोनों भाजपा एवं बंसीलाल गठबंधन के समय प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं जबकि उसके बाद अभी तक कोई प्रदेश अध्यक्ष नहीं रहा इसके चलते ही दक्षिण हरियाणा के नेता इस दौड़ में बने रहना चाहते हैं.
वहीं इसके अलावा अगर 2019 के विधानसभा चुनाव में हारने वाले भाजपा के कई नेता इस दौड़ में खुद को बनाए हुए हैं. जाट और नॉन जाट का फैक्टर देखते हुए अगर भाजपा का अध्यक्ष बनता है तो जाट नेताओं में सबसे मजबूत पक्ष अभी तक मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला का ही माना जा रहा है क्योंकि सुभाष बराला मुख्यमंत्री की पहली पसंद है और संगठन में अच्छी पकड़ होने के चलते अगर जाट नेताओं में से अध्यक्ष बनता है तो सुभाष बराला का नाम आगे रह सकता है जबकि इसके साथ पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु भी रेस में माने जा रहे हैं.
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वहीं नॉन जाट नेताओं में गंभीर नामों में रामबिलास शर्मा भी दौड़ में शामिल हैं क्योंकि संगठन में अच्छी पकड़ और 2014 के विधानसभा चुनाव में अध्यक्ष रहते हुए भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने वाले रामबिलास शर्मा की दावेदारी को कमजोर नहीं माना जा सकता. मौजूदा मंत्रियों में अगर पार्टी विचार करती है तो इस लिस्ट में सबसे ऊपर नाम मौजूदा शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुज्जर का है जिन्हें संगठन में अच्छी पकड़ होने का फायदा मिल सकता है. हालांकि जिस तरह से प्रदेश में डिनर डिप्लोमेसी और एकजुटता देखने को मिल रही है उस पर भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला की माने तो भोजन पर बुलाने में किसी को किसी तरह की आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
वहीं प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कई दावेदारों के शामिल होने के सवाल पर सुभाष बराला ने कहा कि ब्लॉक से लेकर मंडल तक और जिला अध्यक्षों के लिए भी कई नाम सामने आ रहे हैं. यह पार्टी में मजबूती को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि भाजपा हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष का पद एक बड़ा पद है.
गौरतलब है कि हरियाणा में नए प्रदेश अध्यक्ष समेत जिला अध्यक्ष का चुनाव होना है. इसके लिए प्रक्रिया चल रही है मगर दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते यह प्रक्रिया काफी धीमी नजर आ रही है. दिल्ली के विधानसभा चुनाव के बाद हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है जिसको लेकर अभी से लॉबिंग नज़र आने लगी है. हालांकि अभी प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए मार्च तक का इंतजार करना पड़ सकता है , लेकिन उससे पहले नेताओं की तरफ से अपने स्तर पर की जा रही जुगत जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता है तेज होती नजर आ सकती है.
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