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पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत, जानें इस बार क्यों बन रहा 'राजयोग' - करवा चौथ पर 70 साल बाद शुभ संयोग

आज सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास दिन है. आज करवा चौथ है और ये दिन इनके लिए बहुत महत्व रखता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं.

पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत

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Published : Oct 17, 2019, 11:03 AM IST

चंडीगढ़: हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व होता है. महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और संध्या के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर और अपने पति का दर्शन कर जल ग्रहण करके व्रत का परायण करती हैं.

70 सालों बाद बन रहा शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 70 सालों बाद बन रहा शुभ संयोग सुहागिनों के लिए फलदायी होगा. इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग बेहद मंगलकारी रहेगा. करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. करवा चौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है.पहला तो करवा और दूसरा चौथ. जिसमें करवा का मतलब मिट्टी के बरतन और चौथ यानि चतुर्थी है. इस दिन मिट्टी के पात्र यानी करवों की पूजा का विशेष महत्व है. करवाचौथ के मौके पर महिलाएं व युवतियों मेहंदी लगवाती हैं. चतुर्थी को दिनभर व्रत करने के बाद शाम को 16 श्रृंगार से सजकर चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और भगवान गणेश की पूजा करती हैं.

करवा चौथ पर 70 सालों बाद बन रहा शुभ संयोग

24 साल बाद पूर्ण राजयोग
चंद्रमा और बृहस्पति का दृष्टि संबंध होने से गजकेसरी राजयोग बन रहा है. ग्रहों की ऐसी स्थिति पिछले साल भी बनी थी, लेकिन बुध और केतु के कारण चंद्रमा के पीड़ित होने से राजयोग भंग हो गया था, लेकिन इस साल ऐसा नहीं है. बृहस्पति के अलावा चंद्रमा पर किसी भी अन्य ग्रह की दृष्टि नहीं पड़ने से पूर्ण राजयोग बन रहा है. इससे पहले 12 अक्टूबर 1995 को करवा चौथ पर पूर्ण राजयोग बना था. वहीं बृहस्पति और चंद्रमा का दृष्टि संबंध 2007 में भी बना था, लेकिन शनि की वक्र दृष्टि के कारण चंद्रमा के पीड़ित होने से राजयोग भंग हो गया था.

क्यों होते हैं चंद्र दर्शन
चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. चंद्रमा आयु, यश और समृद्धि का भी प्रतीक है. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस बार चंद्रमा अपनी उच्च राशि में है. वह रोहिणी नक्षत्र के साथ होंगे. रोहिणी को उनकी पत्नी कहा गया है. करवा चौथ पर शिव परिवार की पूजा करने का विधान है. लेकिन मुख्य रूप से गणपति की ही पूजा होती है. विघ्नहर्ता गणेश जी को चतुर्थी का अधिपति देव माना गया है. 'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये'

करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि : 17 अक्टूबर
  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ : 17 अक्टूबर की सुबह 6:48 मिनट से
  • चतुर्थी तिथि समाप्त : 18 अक्टूबर को सुबह 7:29 मिनट तक
  • करवा चौथ व्रत का समय :17 अक्टूबर को सुबह 6:27- रात 8:16 मिनट तक
  • कुल अवधि :13 घंटे 50 मिनट
  • पूजा का शुभ मुहूर्त :17 अक्टूबर की शाम 5:46 मिनट से शाम 7:02 मिनट तक
  • कुल अवधि : 1 घंटे 16 मिनट

पूजा मुहूर्त

  • शायं 5.50 से 7.05 बजे तक (करवा चौथ कथा का शुभ मुहूर्त)

करवा चौथ पर चन्द्रोदय का समय

  • रात 08:50 (इस समय तक देश में हर जगह चंद्रमा के दर्शन हो जाएंगे

हरियाणा-पंजाब में चंद्रमा निकलने का समय:

स्थान- चंडीगढ़

  • चांद निकलने का समय- 8:14 PM

स्‍थान- अंबाला

  • चांद निकलने का समय- 7:46 PM

स्थान- अमृतसर

  • चांद निकलने का समय- 8:20 PM

स्थान - गुरुग्राम

  • चांद निकलने का समय- 8:21 PM

स्‍थान: भटिंडा

  • चांद निकलने का समय- 8:23 PM

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