चंडीगढ़ःओम प्रकाश चौटाला जब से जेल से बाहर आये हैं, हरियाणा की सियासत जरा गर्म हो गई है. क्योंकि ओपी चौटाला काफी पुराने नेता हैं और उनका अपना एक फैन बेस है. ओपी चौटाला की राजनीति में सक्रियता बढ़ने से एक बहस जो सियासी गलियारों में राजनीतिक पंडितों के बीच छिड़ी है उसका केंद्र इनेलो और जन नायक जनता पार्टी है. आपको याद होगा कुछ साल पहले ही इनेलो से टूटकर जेजेपी का जन्म हुआ था. उसके बाद इस नई नवेली पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीती और भारतीय जनता पार्टी की सरकार में शामिल हो गई.
अब राजनीतिक पंडितों के बीच एक नई बहस ने जन्म लिया है. जिसका आधार बना है इनेलो और जेजेपी का वोट बैंक. सियासी जानकारों का मानना है कि इनेलो और जेजेपी का जो वोट बैंक है वो एक ही है. और अभी के जो हालात हैं उसमें अगर ओपी चौटाला के आने से इनेलो मजबूत होती है तो सबसे ज्यादा नुकसान जेजेपी का ही होगा. इसीलिए राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बहुत मुमकिन है कि ये दोनों पार्टियां आने वाले वक्त में एक हो जाएं. क्योंकि दोनों अगर अलग-अलग रहेंगी और पूरी ताकत से लड़ेंगी तो दोनों के लिए ही मुश्किल रहेगी.
हालांकि अभी ये सिर्फ सियासी गलियारों की चर्चा है, लेकिन इसको लेकर हाल ही में जब ओपी चौटाला और अभय चौटाला से सवाल पूछा गया तो वो टालते नजर आये. दिल्ली में जब ओपी चौटाला से पूछा गया था कि आप ही की विचारधारा और परिवार से निकली पार्टी आज बीजेपी के साथ सत्ता में बैठी है और किसान धरने पर, इसके जवाब में ओपी चौटाला ने कहा कि आपने इस सावल को आखिरी कैसे मान लिया. राजनीति में आखिरी कुछ नहीं होता.
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इसके अलावा उनसे जब पूछा गया था कि जेजेपी भी नीत नए कृषि कानूनों पर बीजेपी के साथ खड़ी है, इस पर उन्होंने जवाब दिया था कि कौन कहां खड़ा है ये तो वक्त बताएगा. इन बयानों के अपने आप में कई मायने हैं क्योंकि इससे पहले जब भी ओपी चौटाला से दुष्यंत और जेजेपी को लेकर सवाल पूछा जाता था वो कई बार दुष्यंत चौटाला को गद्दार कहते नजर आते थे और काफी गुस्सा हो जाते थे.