चंडीगढ़: हरियाणा में लॉकडाउन 4.0 शुरू हो चुका है. केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक प्रदेश में कंटेनमेंट ज़ोन को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्र ऑरेंज ज़ोन में आएंगे. जिससे सभी तरह की व्यावसायिक गतिविधियां चालू कर दी गई हैं.
उद्योगों को परमिशन
औद्योगिक क्षेत्रों में कंटेनमेंट जोन को छोड़कर बाकी सभी को काम करने की परमिशन दे दी गई है. वहीं कंटेनमेंट जोन में पड़ने वाले उद्योगों को परमिशन के लिए ऑनलाइन अप्लाई करना होगा ताकि कर्फ्यू के बाद पास के माध्यम से कार्य किया जा सके. अगर औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाली जगह पर कोई कोरोना वायरस का मामला मिलता है तो सरकार वहां सैनेटाइजेशन करने के लिए अवधि भी निर्धारित करेगी. ताकि कोरोना संक्रमण का फैलाव न हो सके.
राजस्व बढ़ाना मकसद- दुष्यंत
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि सरकार हालात को सामान्य करने की दिशा में निरंतर कदम बढ़ा रही है. उन्होंने बताया कि हालात सामान्य करने के साथ-साथ प्रदेश सरकार राजस्व को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक गतिविधियों को वापस पटरी पर ला रही है.
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि एक हजार करोड़ रुपये के बजट के साथ मनरेगा के जरिए इस वर्ष बड़े पैमाने पर विकास कार्य करवाए जाएंगे. उन्होंने राज्य को आर्थिक सहायता के लिए भी केंद्र का धन्यवाद किया और कहा कि केंद्र की सहायता से राज्य को मजबूती मिलेगी.
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि बीते 5 सालों में हर साल मनरेगा के जरिए 350 से 450 करोड़ रुपये तक के काम करवाए जाते रहे हैं. लेकिन इस साल लक्ष्य है कि नए कामों को शामिल करके 1000 करोड़ का रोजगार मनरेगा के जरिए दिया जा सके. स्कूलों में निर्माण, नदियों की सफाई, वन विभाग के काम और पौधे लगाने में इस वर्ष मनरेगा मजदूरों की मदद ली जाएगी.
उन्होंने बताया कि पिछले एक सप्ताह में आबकारी विभाग को 300 से 350 करोड़ रुपये के बीच का राजस्व प्राप्त हुआ है. इसी तरह तहसीलों और उपतहसीलों में शुरू की गई रजिस्ट्री प्रक्रिया के माध्यम से प्रदेश को करीब 100 करोड़ रूपये का राजस्व मिला है. हरियाणा सरकार ने मंगलवार से रजिस्ट्रियों की समयसारिणी और संख्या में इजाफा करते हुए रजिस्ट्रियां सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खोलने का आदेश जारी किए हैं ताकि जनता के कामकाज सुचारू होने के साथ-साथ प्रदेश का राजस्व भी बढ़े.
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उपमुख्यमंत्री ने श्रमिकों के पलायन पर बोलते हुए बताया कि श्रमिकों का पलायन एक गंभीर विषय है और लोग भावनाओं के वशीभूत होकर घरों की ओर जा रहे हैं. इस स्थिति को स्वीकार करना पड़ेगा कि ज्यादातर मजदूर एक बार घर जाकर ही कुछ महीनों बाद वापस आएंगे. राज्य सरकार इसके लिए तैयार है और उद्योगों के लिए कामगारों की कमी नहीं रहने दी जाएगी.