चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन विधानसभा में कई अहम मुद्दों को लेकर चर्चा की गई. इस दौरान पृथला से निर्दलीय विधायक नैन पाल रावत ने प्रदेश के उद्योगों का मुद्दा उठाया. नैन पाल रावत ने प्रदेश में इंडस्ट्रीज को पोलूशन के नाम पर 1 महीने के लिए हर साल बंद किए जाने के मामले को विधानसभा में प्रमुखता से उठाते हुए आरोप लगाया कि प्रदूषण के नाम पर जो चाबुक उद्योगों पर चल रहा है उसे रोका जाए.
उद्योगों पर प्रदूषण के नाम पर चाबुक न चलाए सरकार इसके साथ-साथ नैन पाल रावत ने पृथला विधानसभा में औद्योगिक क्षेत्रों में कंपनियों को बिजली पानी सड़क सीवरेज जैसी सुविधाएं देने की भी मांग की. वहीं अपने क्षेत्र में फायर ब्रिगेड स्टेशन खोले जाने की मांग रखी.
उद्योगों का मुद्दा उठाया
पृथला से निर्दलीय विधायक नैन पाल रावत ने बजट सत्र के तीसरे दिन राज्यपाल अभिभाषण पर सदन में कई मुद्दे उठाए. निर्दलीय विधायक ने प्रदेश भर में उद्योगों पर प्रदूषण के नाम पर एक महीने बंद रखे जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि उद्योगों के चलते 21% प्रदूषण होने का दावा किया जाता है जबकि 79 प्रतिशत प्रदूषण अन्य कारणों से होता है. ऐसे में प्रदूषण के नाम पर उद्योगों पर चाबुक ना चला जाए.
इस दौरान नैन पाल रावत ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में 700 से लेकर 1000 तक कंपनियां हैं जबकि इन कंपनियों का 10 प्रतिशत ईडीसी भी जमा है. इसके बावजूद इन कंपनियों को सड़क, बिजली, पानी और सीवरेज जैसी सुविधाएं नहीं दी जा रही. अगर सरकार की तरफ से इन्हें ये सुविधाएं दी जाती हैं तो बाकी का ईडीसी लेकर सरकार को भी रेवेन्यू मिलेगा.
फायर ब्रिगेड स्टेशन खोले जाने की मांग की
वहीं नैन पाल रावत ने अपने हलके में फायर ब्रिगेड स्टेशन खोले जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि आगजनी की घटना होने पर फायर ब्रिगेड बाहर से मगाई जाती है जिसके चलते उन्हें आने में काफी समय लगता है, ऐसे में अगर फायर ब्रिगेड स्टेशन खोल दिया जाए तो दुर्घटनाओं को तुरंत रोका जा सकेगा. हरियाणा के मुख्यमंत्री की जमकर सराहना करते हुए कहा कि समान विकास कार्य अभी तक सरकार की तरफ से किया जा रहा है.
बजट से उम्मीदों के सवाल पर नैन पाल रावत ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने हर विधानसभा में विधायकों को विकास कार्यों के लिए 80 करोड़ रुपये की राशि तय कर दी है, जिसमें पंचायत और जिला परिषद समेत ब्लॉक समिति हैं. राशि तय होने के बाद किसी भी विधायक सत्ता पक्ष या विपक्षी विधायक को विकास की चिंता नहीं रहेगी.
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