चंडीगढ़: सिटी ब्यूटीफुल यानि चंडीगढ़ एक ऐसा शहर है जहां पर बहुत से प्राइवेट इंस्टिट्यूट हैं. साथ ही बहुत सी कंपनी अब यहां काम कर रही हैं जिससे बड़ी संख्या में छात्र यहां पर पढ़ाई करने के लिए आते हैं और बहुत से युवा नौकरी की तलाश में यहां आते हैं. यहां पर आकर उन्हें पीजी में रहना पड़ता है. इस वजह से चंडीगढ़ में अवैध पीजी का धंधा आज काफी बड़ा हो चुका है.
चंडीगढ़ के गली मोहल्लों में हर दूसरे तीसरे घर में लोगों ने अवैध तौर पर पीजी खोल रखे हैं जिनके अंदर बच्चों को छोटे-छोटे कैबिन बनाकर रखा जाता है और इसके बदले में बच्चों से अच्छी खासी रकम भी ली जाती है. लेकिन पैसों के लालच में यह लोग बच्चों की जान की परवाह किए बिना पीजी में छोटी-छोटी जगहों पर बच्चों को भरते रहते हैं.
चंडीगढ़ में पनप रहा है पीजी का धंधा, ठूंस कर रखा जा रहा है बच्चों को. इन पीजी की हालत इतनी ज्यादा खराब होती है कि अगर यहां पर कोई हादसा हो जाए तो इसमें रहने वाले बच्चों का बचना बेहद मुश्किल है. ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ में ही अवैध तौर पर बनाए गए पीजी में जाकर रियलिटी चेक किया और वहां के हालात को जाना.
चंडीगढ़ में ज्यादातर पीजी एक ही तर्ज पर बनाए जाते हैं जिनमें पूरे फ्लोर पर प्लाईवुड के छोटे-छोटे केबिन बना दिए जाते हैं. उनमें भी क्षमता से ज्यादा बच्चों को रखा जा रहा है. जिस कमरे में बमुश्किल दो बचे रह सकते हैं वहां पर चार से पांच बच्चों को रखा जा रहा है. पीजी में हर तरफ प्लाईवुड लगाया गया है जो काफी पतला है. अगर इस प्लाईवुड में जरा सी आग लग जाए तो देखते ही देखते पूरा फ्लोर आग की लपटों से घिर जाएगा और ऐसे में इन कमरों में रह रहे बच्चों का बचना नामुमकिन ही होगा.
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पीजी के अंदर बिजली की तारें खुली पड़ी हैं. इन तारों में कभी भी शॉर्ट सर्किट हो सकता है जिससे यहां पर कभी भी आग लग सकती है लेकिन पीजी मालिक पैसे के लालच में पूरे फ्लोर पर इस तरह के कैबिन बना देते हैं ताकि वह ज्यादा से ज्यादा बच्चों को किराए पर रख सके. इस पैसे के लालच में कहीं ना कहीं लोग यहां रह रहे बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं.
जब हमने यहां पर रह रहे बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया कि इसे फ्लोर पर करीब 16 बच्चे रह रहे हैं. जब उन्होंने इस पीजी को लिया था तब उन्हें बताया गया था कि है तीन कमरे वाला फ्लोर है लेकिन मकान मालिक ने कुछ समय बाद यहां पर प्लाईवुड के छोटे-छोटे कैबिन बनाने शुरू कर दिए. हमारे मना करने के बावजूद भी उसने केबिन बनवा दिए.
यहां रहने के लिए हर बच्चे से करीब 12,000 रु लिए जा रहे हैं. इतने पैसे देने के बावजूद भी मकान मालिक को उनकी सुरक्षा की जरा भी चिंता नहीं है. अगर इस तरह के पीजी में आग लग जाए तो यहां पर रह रहे बच्चे का यहां से बचकर नहीं निकल पाएंगे. अगर इस तरह के पीजी को बंद नहीं किया गया तो सेक्टर-32 में हुआ हादसा फिर से दोहराया जा सकता है.
चंडीगढ़ सेक्टर-32 पीजी में हुए हादसे के में आग लगने की वजह से तीन लड़कियों की मौत हो गई थी और कहीं ना कहीं इसे प्रशासन की नाकामी ही कहा जाएग. अगर प्रशासन अवैध तौर पर चल रहे पीजी पर कार्रवाई करता तो शायद और बच्चियों की जान बच सकती थी. इस हादसे के बाद भी हालात में ज्यादा सुधार आने की उम्मीद नजर नहीं आती. प्रशासन की लापरवाही और लोगों में पैसे के लालच के बीच कहीं ना कहीं चंडीगढ़ में पीजी में रह रहे बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
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