चंडीगढ़ः 21 अक्तूबर को हरियाणा में मतदान होना है और इस बार भी प्रदेश में ईवीएम के जरिए मतदान होगा. इसलिए ये जानना जरूरी है कि ईवीएम(इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन) किस तरह काम करती है. और ईवीएम में वोट डालते वक्त किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
मतदान के साथ सावधानी भी जरूरी
लोकतंत्र में जितना जरूरी मतदान करना है उतना ही जरूरी ये भी ध्यान रखना है कि आपका वोट सही तरीके से पड़ा या नहीं. आप जिसे वोट देना चाहते हैं आपका वोट उसे ही गया या नहीं क्योंकि अब भारत में ईवीएम के जरिए मतदान होता है तो कई लोग ईवीएम को सही तरीके से समझ नहीं पाते हैं. इसलिए ये जानना जरूरी है कि ईवीएम कैसे काम करती है और किन बातों का आपको ध्यान रखना है.
वोटिंग से पहले जानिए कैसे काम करती है EVM और वोट डालते समय किन बातों का रखें ध्यान ईवीएम में कैसे करें वोट ?
- मशीन पर हर बटन के सामने उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह दिया होता है
- बटन के सामने ही उम्मीदवार का नाम भी दिया होता है
- आपको जिसे वोट देना है उसके नाम के सामने वाला बटन दबाएं
- ध्यान रहे कि वोट डालने के लिए नीला बटन दिया होता है
- बटन दबाने के बाद आपको थोड़ा ठहरना है
- जब मशीन बीप की आवाज कर दे तभी आपका वोट पड़ेगा
- ईवीएम के पास ही वीवीपैट भी रखा होता है
- वीवीपैट से एक पर्ची निकलती है
- इस पर्ची में आपको दिखेगी कि आपने किसे वोट दिया है
- कुछ सेकेंड रुकने के बाद पर्ची वीवीपैट के डब्बे में चली जाएगी
- इस तरह आपका वोट डल जाएगा
वीवीपैट का काम क्या है ?
VVPAT यानि VOTER VARIFIED PAPER AUDIT TRAIL ईवीएम में पड़ने वाले कुल वोटों की पर्चियां वीवीपैट में ही इकट्ठा होती हैं जिसे जरूरत पड़ने पर गिना जा सकता है. अगर कभी कोई उम्मीदवार ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत करता है तो वीवीपैट की पर्चियां गिनकर ईवीएम के नतीजों से मिलान किया जाता है.
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भारत में ईवीएम का इतिहास
भारत में पहली बार ईवीएम का प्रयोग 1982 में केरल से शुरू हुआ था. इसके बाद 2004 लोकसभा चुनाव के बाद से हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव ईवीएम से ही संपन्न हो रहे हैं. भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 1989 में “इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड” के सहयोग से भारत में ईवीएम बनाने की शुरूआत की गई थी.
ईवीएम के बारे में जानने लायक बातें
- एक ईवीएम में दो भाग होते हैं- नियंत्रण इकाई और मतदान इकाई.
- दोनों भाग एक पांच मीटर लंबे केबल से जुड़े होते हैं
- नियंत्रण इकाई, “पीठासीन अधिकारी” या “मतदान अधिकारी” के पास रहता है
- जबकि मतदान इकाई को मतदान कक्ष के अंदर रखा जाता है
- ईवीएम 6 वोल्ट के एक साधारण बैटरी से चलता है
- एक ईवीएम में अधिकतम 3840 मतों को रिकॉर्ड किया जा सकता है
- एक ईवीएम में अधिकतम 64 उम्मीदवारों के नाम अंकित किए जा सकते हैं
- एक मतदान इकाई में 16 उम्मीदवारों का नाम अंकित रहता है और एक ईवीएम में ऐसे 4 इकाइयों को जोड़ा जा सकता है
- यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में 64 से अधिक उम्मीदवार होते हैं तो मतदान के लिए पारंपरिक “मतपत्र या बॉक्स विधि” का प्रयोग किया जाता है
- ईवीएम के बटन को बार-बार दबाकर एक बार से अधिक वोट करना संभव नहीं है
- मतदान इकाई में किसी उम्मीदवार के नाम के आगे अंकित बटन को एक बार दबाने के बाद मशीन बंद हो जाती है
- यदि कोई व्यक्ति एक साथ दो बटन दबाता है तो उसका मतदान दर्ज नहीं होता है
- वर्तमान में एक M3 EVM की लागत 17 हजार रुपये के लगभग आती है