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प्रदूषण से हर साल उत्तर भारत में बिगड़ रहे हैं हालात, लोगों की 7 साल तक घटी उम्र - stubble burn in haryana

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, वायु प्रदूषण के मामले में भारत के 14 शहरों की स्थिति बेहद खराब है. इस लिस्ट में दिल्ली समेत हरियाणा के फरीदाबाद और गुरुग्राम भी शामिल हैं.

heavy pollution in north india

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Published : Nov 13, 2019, 4:36 PM IST

Updated : Nov 13, 2019, 8:07 PM IST

चंडीगढ़: विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया है. जिसके तहत दुनिया के सबसे प्रदूषित 15 शहरों में पहले 14 शहर भारत के हैं.

सबसे प्रदूषित शहरों में फरीदाबाद और गुरुग्राम

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, वायु प्रदूषण के मामले में भारत के 14 शहरों की स्थिति बेहद खराब है. इस लिस्ट में दिल्ली समेत हरियाणा के फरीदाबाद और गुरुग्राम भी शामिल हैं.
साल 2010 की विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में प्रदूषित शहरों में भारत की राजधानी दिल्ली को सबसे पहले नंबर पर रखा गया था. स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में तीन में से एक व्यक्ति घर के भीतर और बाहर असुरक्षित हवा में सांस ले रहा है.

प्रदूषण से हर साल उत्तर भारत में बिगड़ रहे हैं हालात

लोगों को सांस लेने में हुई तकलीफ

देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि सरकार ने सभी स्कूलों को कई दिन तक बंद भी रखा. हैरान करने वाली बात ये है कि हर साल नवंबर के महीने में दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में कुछ ऐसे ही हालात होते हैं.

प्रदूषण से दिल्ली में लगी थी हेल्थ इमरजेंसी

प्रदूषण की वजह से पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण ने दिल्ली-एनसीआर में कई दिनों तक हेल्थ इमरजेंसी घोषित की. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बच्चों की सेहत के बारे में सोचने और पराली जलाने से रोकने के लिए कदम उठाने की अपील भी की. वहीं दिल्ली सरकार ने निजी और सरकारी स्कूलों के बच्चों को 50 लाख 'एन95' मास्क बांटे.

घट रही लोगों की उम्र

ईपीसीए के मुताबिक, दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण सीवियर प्लस कैटेगरी व एक्यूआई 500 से 700 के बीच पहुंच गया था. दावा ये भी किया गया कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण ने यहां के लोगों की उम्र 10 साल कम कर दी. पूरे उत्तर भारत में उम्र औसतन 7 साल कम हुई है. ये दावा शिकागो यूनिवर्सिटी की शोध संस्था एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो (ईपीआईसी) ने अपने विश्लेषण के जरिए किया है.

ईपीआईसी ने यह विश्लेषण सेटेलाइट डाटा के आधार पर किया है. विश्लेषण में 2016 के बाद के डाटा को शामिल नहीं किया गया है. ईपीआईसी ने विश्लेषण जारी करने के दौरान बताया कि बढ़ते प्रदूषण में हर कोई स्मोकर बन रहा है. नवजात शिशु भी जब पहली सांस लेता है तो उसके अंदर प्रदूषण चला जाता है. प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ रहा है कि ये 24 घंटे में 20-25 सिगरेट के बराबर है. पीएम 2.5 के स्तर को 22 से भाग देने पर उतनी सिगरेट का धुआं लोग अपने अंदर ले रहे हैं. प्रदूषण बढ़ने से लोग बहुत ज्यादा स्तर तक बीमार हो रहे हैं. इससे उनकी उम्र कम हो रही है.

इस प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार पराली को ही बताया जा रहा है. देश का पेट भरने वाले किसान प्रदूषण के लिए सबसे बड़े खलनायक घोषित किए जा रहे हैं. यहां तक कि हरियाणा में किसानों के खिलाफ मुकदमे तक दर्ज हो रहे हैं. इसलिए ईटीवी भारत ने ऑपरेशन पराली के जरिए ये मुहिम चलाई है. जिसमें हम ये तस्वीर साफ करेंगे कि क्या प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदार है. किसान पराली जलाने के लिए मजबूर क्यों है. और सरकारें किसान पर मुकदमे दर्ज करने के अलावा कोई ठोस समाधान क्यों नहीं तलाश पा रही हैं.

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Last Updated : Nov 13, 2019, 8:07 PM IST

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