चंडीगढ़ःहरियाणा की सांस्कृतिक विरासत बहुत विशाल है, महाभारत काल के युद्धों से लेकर मुगल काल में लड़े गए कई युद्धों का गवाह हरियाणा की धरती रही है. लेकिन उसकी असली पहचान क्या युद्ध है? जवाब है नहीं, हरियाणा की असली पहचान है, यहां के लोग और उनका रहन-सहन. जिसमें आप देखते हैं इस इलाके की संस्कृति, क्योंकि हरियाणा वाले कभी अपनी संस्कृति को पीछे नहीं छोड़ते और ना ही उससे दूर भागते हैं. यही कारण है कि हरियाणवी संस्कृति आज भी प्रदेश के गांव, खेत-खलिहानों में जिंदा है.
हाजिर जवाब हरियाणवी
हरियाणा का नाम सुनते ही यहां के लोग सबसे पहले दिमाग में आते हैं, उनकी भाषा में एक हास्य है जो यहां की बोली से निकलता है और लोगों को हंसाता है. हरियाणवी लोगों की यही खासियत उन्हें बाकियों से अलग बनाती है. वो बोलते हैं तो लगता है लठ मार रहे हैं लेकिन ये उनके प्यार जताने का तरीका भी हो सकता है.
डांस करती महिलाएं (फाइल फोटो) हरियाणवी संस्कृति(haryanvi culture) और इतिहास(history of haryana)
हरियाणवी संस्कृति बहुत पुरानी है, हरियाणा के बारे में कहा जाता है कि यह वो जगह है जहां महर्षी वेद व्यास ने महाभारत की रचना की थी. ये वो जगह है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था और कर्म की महत्ता पर प्रकाश डाला था. यहां के लोग अपनी संस्कृति से बहुत प्यार करते हैं, लोक गीत और रागनी(Haryanvi Folk Songs) यहां अब भी खूब सुने और गाये जाते हैं.
सूरजकुंड मेले में हरियाणवी संस्कृति को दर्शाती एक तस्वीर (फाइल फोटो) हुक्का और चौपाल
आप कभी हरियाणा जायें और चौपाल पर बैठकर हुक्का ना गुड़गुड़ाएं तो अपना हरियाणा जाना व्यर्थ ही समझिए. आज के दौर में भले ही दुनिया तेजी से बदल रही हो और किसी के पास वक्त ना हो, लेकिन हरियाणा के गांव में जब आप घुसेंगे तो चौपाल पर हुक्का पीते बुजुर्गों के साथ आपको कितने ही जवान भी मिल जाएंगे.
हुक्के के साथ फोटो खिंचाता बच्चा (फाइल फोटो) ये भी पढ़ेंःHaryanvi Dialogue है पसंद? तो यहां सीखें दो मिनट में धाकड़ हरियाणवी
किसान और जवान
हरियाणा के लगभग हर घर में आपको किसान और जवान मिल जाएगा. यहां का बासमती चावल दुनियाभर में प्रसिद्ध है, और देश की आबादी में 2 प्रतिशत का हिस्सेदार ये प्रदेश सेना में लगभग 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है. मलतब देश का हर दसवां सैनिक हरियाणवी है. इसीलिए जय जवान, जय किसान के नारे को असल में हरियाणा चरितार्थ करता है.
हरियाणवी पोशाक में डांस (फाइल फोटो) पोशाक में संस्कृति की झलक
हरियाणा अपने पहनावे और खाने से भी अलग पहचान बनाता है. क्योंकि इनकी पोशाक जीवंत और रंगीन है जो उनकी संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली को दर्शाती है. यहां के पुरुष धोती कुर्ता और पगड़ी पहनना पसंद करते हैं जबकि कुर्ती, घाघरा और ओढ़नी महिलाओं की पसंदीदा पोशाक है.
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देसां में देस हरियाणा, जित दूध-दही का खाणा
हरियाणा के ज्यादातर लोग शुद्ध शाकाहारी भोजन पसंद करते हैं. तभी यहां दूध-दही का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है. एक अनुमान के मुताबिक हरियाणा के लोग देश के बाकी राज्यों से तीन गुना ज्यादा दूध पीते हैं. हरी सब्जी खाने वाले लोग भी यहां बड़ी संख्या में हैं, साथ ही बड़े-बड़े लस्सी के गिलास और गुड़ यहां हर घर में हर वक्त आपको मिल जाएंगे.
बर्तन बनाता कुम्हार (फाइल फोटो) खेल से अपार प्रेम
हरियाणवियों को जहां खेत और सीमा से विशेष लगाव है वहीं खेल से भी उनका प्रेम अतुल्य है. रेसलिंग से लेकर कबड्डी और हॉकी तक में हरियाणा का डंका बजता है. ओलंपिक में भी सबसे ज्यादा मेडल हरियाणा से ही आते हैं. अभी भी जो भारत का ओलंपिक में दल जा रहा है उसमें 30 खिलाड़ी हरियाणा से हैं, और सारी महिला रेसलर भी हरियाणा से ही हैं. जो ओलंपिक में देश का नाम रोशन करने को तैयार हैं.
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