हैदराबाद:जुनून हो तो विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) जैसा, रियो ओलंपिक में चोट लगने के बाद करीब डेढ़ साल बिस्तर पर रही. फिर शानदार वापसी करते हुए विश्व चैंपियन ने ऐसा दांव लगाया कि गोल्ड जीतकर सीधे टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) का टिकट कटा लिया. हालांकि टोक्यो ओलंपिक में विनेश कुछ खास कमाल नहीं कर पाई, लेकिन जिंदगी की दौड़ अभी बाकी है. इसी जिंदादिली की मिसाल है विनेश फोगाट, आज हरियाणा की मशहूर रेसलर विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) का जन्मदिन है.
इस बहादुर बेटी को पहले पिता की मौत, फिर रियो ओलंपिक (Rio Olympics) में ऐसी चोटी लगी कि जिंदगी ठहर सी गई. फिर भी चरखी दादरी की बहादुर बेटी का जज्बा कम न हुआ और एशियन खेलों में महिला कुश्ती में पहला गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया. देखें कहानी विनेश फोगाट की.
हरियाणा के चरखी दादरी के गांव बलाली की रहने वाली विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) के पिता का साल 2003 में देहांत हो गया था. पिता की मौत के बाद ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फोगाट ने विनेश और उनकी छोटी बहन को अपनाया और अपनी बेटियों के साथ अखाड़े में उतारा. ताऊ के विश्वास व गीता-बबीता बहनों से प्रेरणा लेते हुए विनेश फोगाट ने एशियन खेलों के साथ-साथ विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर पुराने जख्मों पर मरहम लगा दिया. विनेश ने अपने परिवार और जिले के लोगों की आस के अनुरूप जीत हासिल की है.