चंडीगढ़ःहरियाणा और पंजाब एक ही विधानसभा का इस्तेमाल करते हैं जो चंडीगढ़ में स्थित है. इस विधानसभा की हिस्सेदारी शरू से ही विवादित रही है. अब एक बार फिर विधानसभा में अपनी हिस्सेदारी को लेकर हरियाणा सक्रिय हुआ है. पंजाब स्पीकर से मिलकर मांग करने के बाद अब हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता दिल्ली पहुंचे हैं और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से इस पर बातचीत की चर्चा है. सवाल ये है कि राज्य गठन के इतने दिन बाद ये विधानसभा का मुद्दा कहां से आया.
इसकी वजह बताते हुए हरियाणा विधानसभा स्पीकर ने कहा था कि जब हरियाणा अलग हुआ था तब विधानसभा का 60 प्रतिशत हिस्सा पंजाब के लिए आवंटित हुआ था और 40 प्रतिशत हिस्सा हरियाणा को दिया गया था. लेकिन वर्तमान स्थिति ये है कि हमारे पास मात्र 27 फीसदी ही है और 13 प्रतिशत बचा हुआ हिस्सा पंजाब के पास है. इसे ऐसे समझिए कि बंटवारे के वक्त पंजाब विधानसभा सचिवालय को 30890 स्क्वॉयर फीट, पंजाब विधान परिषद सचिवालय को 10910 स्क्वॉयर फीट और हरियाणा विधानसभा सचिवालय को 24630 स्क्वॉयर फीट हिस्सा मिला था.
इसे और आसान करने के लिए कमरों के हिसाब से समझिए कि कैसे पंजाब ने ज्यादा हिस्से पर अधिकार जमाया हुआ है. हरियाणा सरकार के मुताबिक विधान भवन की इमारत के बेसमेंट में 4 कमरे हरियाणा को मिले थे, कमरा नंबर 23 से 26 तक लेकिन हरियाणा के पास अभी केवल दो (24-25) हैं, बाकी पंजाब के पास हैं.