चंडीगढ़: प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान अवैध शराब की बिक्री जोरों पर हुई. जिसकी जांच अब एसआईटी कर रही है. सोनीपत के खरखौदा से यह शराब घोटाला उजागर हुआ था. जिसके बाद से रोज कोई न कोई खुलासा हो रहा है. जिस वक्त हरियाणा में सब कुछ बंद था. उस समय अगर कोई काम कर रहा था तो वह था हरियाणा का आबकारी विभाग. प्रदेश के कई जिलों में शराब के लिए आबकारी विभाग परमिट और पास जारी कर रहा था.
लॉकडाउन के दौरान भी क्यों हरियाणा का एक्साइज विभाग परमिट बांट रहा था? ईटीवी भारत को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक मार्च के अंतिम चार दिनों में आबकारी विभाग के पास एक्साइज पास के लिए 129 आवेदन आए. जिनमें से करीब 96 को मंजूर कर लिया गया और 15 को खारिज करते हुए 18 को पेंडिंग कर दिया गया. सूत्रों के मुताबिक इन्हीं चार दिनों के भीतर एक्साइज परमिट के लिए करीब 71 आवेदन आए. जिनमें से 23 को मंजूर कर दिया गया और छह को खारिज करके 42 को पेंडिंग छोड़ दिया गया.
हरियाणा का एक्साइज विभाग सोनीपत पर मेहरबान ये भी पढ़ें-600 की बोतल 2200 में बेची, लॉकडाउन के बाद चुपचाप शराब गोदाम में रखवाने की थी प्लानिंग
सोनीपत पर मेहरबान हरियाणा का एक्साइज विभाग
सूत्रों के मुताबिक सबसे ज्यादा पास और परमिट सोनीपत के लिए जारी हुए. पास करीब 47 और परमिट करीब 20. जबकि अम्बाला के 4 पास, गुरुग्राम के 10 पास और 1 परमिट, हिसार के 4 पास, झज्जर के 2 पास 1 परमिट, पानीपत के 16 पास जारी हुए. जिस तरह से पास जारी हुए. उसे देखते हुए लग रहा है कि शराब का अंतरराज्यीय कारोबार भी हुआ होगा.
4 दिन में सोनीपत को मिले 20 परमिट ये भी पढ़ें-शराब घोटाले के लिए बनी SIT, 31 मई तक होगी जांच पूरी: विज
क्या होता है एक्साइज परमिट व एक्साइज पास?
आबकारी विभाग में परमिट व पास का बड़ा महत्व होता है. किसी भी फैक्ट्री में तैयार की गई शराब को होलसेल शराब की दुकानों तक पहुंचाने के लिए विभाग द्वारा परमिट जारी किया जाता है. इस परमिट पर शराब उत्पादन करने वाली फैक्ट्री, संबंधित दुकान, ट्रक चालक का नाम व नंबर आदि लिखा जाता है.
शराब के कारोबार में दूसरी अहम भूमिका पास की है. यह पास शराब के होलसेल कारोबारी से शराब को रिटेल कारोबारी तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है. परमिट व पास आबकारी विभाग द्वारा जारी किया जाता है. यह विभाग की दैनिक कार्रवाई का हिस्सा है.
अंग्रेजी शराब फैक्ट्री से होलसेल पर जाने के लिए एल-वन कोड का इस्तेमाल होता है. होलसेल से रिटेल पर जाने के बाद यह एल-टू में बदल जाता है. इसी प्रकार देसी शराब का फैक्ट्री से होलसेल तक जाने की प्रक्रिया एल-13 कही जाती है और होलसेल से रिटेल में जाने के बाद यह एल-14 बन जाती है.