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नियम 134 ए हटाने से गरीब छात्रों को कोई नुकसान नहीं, राइट टू एजुकेशन के तहत पढ़ सकेंगे ज्यादा बच्चे- शिक्षा मंत्री

हरियाणा सरकार ने नियम 134 ए को खत्म (haryana 134 A rule abolished) कर दिया है. इस फैसले का विपक्ष विरोध कर रहा है. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने हरियाणा के शिक्षा मंत्री से खास बातचीत की है.

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नियम 134 ए हटाने से गरीब छात्रों को कोई नुकसान नहीं- शिक्षा मंत्री

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Published : Apr 2, 2022, 6:26 PM IST

चंडीगढ़:सरकार ने गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा लेने के लिए जारी नियम 134 ए को खत्म कर दिया है, जिसको लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है. विपक्षी दलों का यह कहना है कि सरकार ने इसे खत्म कर गरीब बच्चों से शिक्षा का अधिकार छीन लिया है. इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष जानने के लिए ईटीवी भारत ने हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर से खास बातचीत की.

राइट टू एजुकेशन के पढ़ेंगे बच्चे- शिक्षा मंत्री ने कहा कि नियम 134 ए को हटाना गरीब बच्चों के लिए फायदे की बात है. इससे उसे नुकसान नहीं होगा बल्कि लाभ होगा, क्योंकि अब सरकार आरटीए यानी राइट टू एजुकेशन के तहत गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा मुहैया करवाएगी. 134 ए के तहत सरकार प्राइवेट स्कूलों में सिर्फ 10 प्रतिशत गरीब बच्चों को पढ़ा सकती थी, लेकिन राइट टू एजुकेशन के तहत सरकार प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को पढ़ा सकेगी. इसके तहत पढ़ने वाले बच्चों का 40 फीसदी खर्च राज्य सरकार वहन करेगी और 60 फीसदी खर्च केंद्र सरकार देगी. इससे राज्य सरकार ने पैसे खर्च कर 134 ए के तहत दसवीं के बच्चों को पढ़ा रही थी. अब राइट टू एजुकेशन के तहत उतने ही पैसों में 25 फीसदी बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ सकेंगे.

नियम 134 ए हटाने से गरीब छात्रों को कोई नुकसान नहीं- शिक्षा मंत्री

कांग्रेस ने नहीं कराया एक भी दाखिला- शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि जो विपक्षी नेता 134 ए को लेकर सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. उन्हें सवाल उठाने का कोई हक नहीं है. कांग्रेस ने 2007 में हरियाणा में 134 ए को लागू किया था, लेकिन 2014 तक किसी भी बच्चे का इसके तहत दाखिला नहीं कराया. जब 2014 में बीजेपी की सरकार बनी तब सरकार ने बच्चों के दाखिले करने शुरू किए. इसीलिए कांग्रेस को तो इस बारे में कुछ भी बोलना नहीं चाहिए.


प्राइवेट स्कूलों को दी गई 70 करोड़ से ज्यादा की राशि- प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के आरोपों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ऐसा कैसे कह सकती हैं कि उन्हें 134 ए के तहत पढ़ाए जा रहे बच्चों की फीस नहीं दी गई. जबकि सरकार की ओर से प्राइवेट स्कूलों को उनका सारा पैसा दे दिया गया है. सरकार ने अभी तक प्राइवेट स्कूलों को 70 करोड़ 31 लाख रुपए से ज्यादा की राशि वितरित की है. अगर अभी भी स्कूल की राशि रहती है तो वह विभाग को बताएं उसका भी भुगतान किया जाएगा.

सरकार ने बढ़ाई संस्कृति स्कूलों की संख्या- इसके अलावा शिक्षा मंत्री ने कहा कि संस्कृति स्कूलों में भी बच्चों को बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं. पहले प्रदेश में 22 संस्कृति स्कूल थे जिनकी संख्या बढ़ाकर 138 कर दी गई है. बच्चों के दाखिले उनके घर के आस-पास मौजूद स्कूलों में ही किए जा रहे हैं, ताकि उन्हें दूर ना जाना पड़े. इसके अलावा जो गरीब बच्चे हैं. उनको मुफ्त दाखिले और आगे की पढ़ाई भी मुक्त कराई जाएगी जबकि जो लोग कुछ सक्षम हैं. उनसे थोड़ी सी चीज ली जाएगी जो प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले में बेहद मामूली फीस है. इससे जो पैसा इकट्ठा होगा वह पैसा सरकार नहीं लेगी बल्कि उस पैसे को उसी स्कूल में ही रखा जाएगा और वह उस स्कूल के विकास के लिए ही खर्च होगा.

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निजी स्कूलों को तय किए गए नियम मामना पड़ेगा- पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा प्राइवेट स्कूलों को लेकर दिए गए बयान के बारे में बात करते हुए शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि मैंने जो कहा वह सिर्फ उनका बयान है. उससे कोई बदलाव नहीं आया, लेकिन हमने तो निजी स्कूलों के लिए नियम तय कर दिए हैं. जिसे सभी निजी स्कूलों को मानना होगा. जैसे कोई भी निजी स्कूल 5 फीसदी से ज्यादा पीस नहीं बढ़ा सकता. इसके अलावा स्कूल की ड्रेस में भी 5 साल तक कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. बाकी बच्चे के माता-पिता को बार-बार स्कूल की वर्दी ना खरीदनी पड़े.

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