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हरियाणा में प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण के विरोध में उतरे कांग्रेस विधायक

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Published : Jul 14, 2020, 5:23 PM IST

हरियाणा में प्राइवेट नौकरियों में हरियाणा के युवाओं को आरक्षण देने के सरकार के फैसले का कांग्रेस विधायकों ने विरोध किया है.

congress MLA
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चंडीगढ़: प्रदेश के उद्योगों में 75 फीसदी रोजगार स्थानीय युवाओं को देने के हरियाणा कैबिनेट के फैसले का कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा और राव चिरंजीव ने विरोध किया है. मंगलवार को चंडीगढ़ में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कांग्रेस के इन दोनों विधायकों ने इस फैसले को दक्षिण हरियाणा के युवाओं पर अत्याचार बताया है.

'दक्षिण हरियाणा के युवाओं के साथ हुआ भेदभाव'

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए एनआईटी फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि हम चाहते हैं शत प्रतिशत रोजगार हरियाणा के युवाओं को मिले, लेकिन ये डंडे के जोर पर करवाने के बजाय प्रोत्साहन के माध्यम से किया जाना चाहिए. सरकार को चाहिए कि हरियाणा के जितने युवाओं को कंपनियां रोजगार दें उनका ईएसआई, पीएफ सरकार जमा करे.

शर्मा ने कहा कि सरकार ने अपने इस फैसले में जिलेवार एक कैप भी लगाया है, जिसमें किसी भी जिले को 10 फीसदी से ज्यादा रोजगार न देने की व्यवस्था की है. ये दक्षिणी हरियाणा के युवाओं के साथ भेदभाव है. जमीनें हमारी जा रही हैं, प्रदूषण हम झेल रहे हैं, जाम हमारे यहां लगता है, लेकिन नौकरी हमारे युवाओं को नहीं मिलेगी, क्यों?

एनआईटी फरीदाबाद से कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा से खास बातचीत.

वहीं रेवाड़ी से कांग्रेस विधायक राव चिरंजीव ने नीरज शर्मा का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार अब कह रही है कि नए लगने वाले उद्योगों में ही यह आरक्षण लागू होगा जबकि जेजेपी ने अपने घोषणा पत्र में ऐसी कोई बात नहीं कही थी. विधायक शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार का बस नहीं चल रहा नहीं तो वह गुरुग्राम, फरीदाबाद के युवाओं को जहर ही दे दे और सरकारें इन इलाकों को सोमनाथ जी का मंदिर समझती हैं कि आओ लूटो और जाओ.

कैबिनेट की बैठक में हुआ था फैसला

गौरतलब है कि हरियाणा में निजी क्षेत्र में 75 फीसदी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने संबंधी अध्यादेश के प्रारूप को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. 6 जुलाई 2020 को हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार अध्यादेश के प्रारूप को सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी.

पहली बैठक में कुछ संशोधन के साथ अब इसका प्रारूप एक बार फिर कैबिनेट में रखा जाएगा. इसके बाद राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. कैबिनेट द्वारा पास इस अध्यादेश के प्रारूप में निजी कंपनियों, सोसायटियों, ट्रस्टों, लिमिटेड लायबिलिटी फर्मों तथा पार्टनरशिप फर्मों में 50 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन वाली नौकरियों में नए रोजगारों का 75 फीसद स्थानीय उम्मीदवारों के लिए प्रावधान किया गया है.

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